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पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/४५

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३२ साहित्य का इतिहास-दर्शन गणि ने जिस सुलोचना चरिउ खंड-काव्य की रचना की है उसकी कथा "जैन कवियों का प्रिय विषय रही है । आचार्य जिणसेन ने अपने हरिवंश पुराण में महासेन की सुलोचना-कथा की प्रशंसा की है । कुवलयमाला के कर्त्ता उद्योतन सूरि ने भी सुलोचना - कथा का निर्देश किया है । पुष्पदंत ने अपने महापुराण की २८वीं संधि में इसी कथा का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है । धवल कवि ने अपने हरिवंश पुराण में रविषेण के पद्मचरित्र के साथ महासेन की सुलोचना - कथा का उल्लेख किया है । कवि ने अपने इस काव्य में कुंदकुंद के सुलोचना- चरित्र का उल्लेख किया है और कहा है कि कुंदकुंद के गाथाबद्ध सुलोचना - चरित्र का मैंने पद्धडिया आदि छंदों में अनुवाद किया है । न महासेन की सुलोचना - कथा और न कुंदकुंद का सुलोचना चरित आजकल उपलब्ध है । " ९ टिप्पणियाँ १। २1 ३१ ४ अप्रकाशित; दे० इलाहाबाद युनिर्वासटी स्टडीज, भा० १, १९२५; कैटलॉग ऑव संस्कृत एंड प्राकृत मैनस्क्रिप्ट्स इन द सी० पी० एंड बरार, नागपुर, १९२६; हस्तलिखित प्रति श्री दिगंबर जैन मंदिर बड़ा तेरह पंथियों का, जयपुर, में, जिसके आधार पर हरिवंश कोछड़ ने अपभ्रंश साहित्य में इसका सविस्तर विवरण दिया है, पृ० १०३ । अप्रकाशित; हस्तलिखित प्रति आमेर शास्त्र- भंडार, जयपुर, में; कोछड़ ने विवरण दिया है, ५१ T.W. Rhys Davids, Buddhist India, पृ० २७८ | हाल का समय वेबर के अनुसार, ईसा की तीसरी शताब्दी के पहले नहीं और सातवीं के बाद भी नहीं है, यद्यपि मैकडॉनेल के अनुसार १०० ई० है । यदि हाल आंध्र वंश के १७वें राजा, हाल-सातवाहन हों, तो उनका समय ६८ ई० होगा। याकोबी कवि हाल और प्रतिष्ठान नरेश सातवाहन को एक मानता है, जो ४६७ ई० में वर्त्तमान था। कीथ इनका समय २००-४५० ई० के बीच मानता है। प्रथम अंक । ६। ७१ ८। ६। पृ० १७५ । अप्रकाशित; हस्तलिखित प्रति आमेर शास्त्र - भंडार में, कोछड़ ने विवरण दिया है, पृ० २१६ । अप्रकाशित; हस्तलिखित प्रति आमेर शास्त्र - भंडार में, कोछड़ ने विवरण दिया है, १० २३४ | अपभ्रंश साहित्य, पृपृ० २१६-१७ । अपभ्रंश साहित्य, पृ० २१७ |