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पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/६१

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साहित्य के समूहों का इतिहास तो और भी कठिन कार्य है। इस तरह के प्रयासों में जान मैकल का 'स्लोवानिक लिट्रेचर्स' और समस्त मध्ययुगीन रोमांस साहित्यों का इतिहास लिखने का लिओनार्ड ओल्स्की का प्रयत्न उल्लेख्य है, किंतु उन्हें बहुत सफल नहीं कहा जा सकता ।३५ साहित्य का इतिहास दर्शन यदि समवेत रूप से आधुनिक भारतीय साहित्य का इतिहास लिखा जाय तो कठिनाई इसलिए बढ़ जायगी, क्योंकि वह संस्कृत की प्राचीनतर और सवलतर परंपग पर अवलंवित है । फिर भी साहित्य कला के राष्ट्रीय विकास की समस्या ऐसी है, जिसकी उपेक्षा इतिहासकार कर नहीं सकता, यद्यपि अब तक इस क्षेत्र में व्यवस्थित रूप से कार्य हुआ नहीं है । विश्व - साहित्य के जो भी इतिहास लिखे गये वे सब के सब योरोपीय साहित्य की उस मुख्य परंपरा के प्रलेखन के यत्न हैं, जो ग्रीस और रोम से समान रूप से निःसृत होने के कारण एक हैं । ऐसे इतिहासों में आदर्शविषयक सामान्यताओं या ऊपरी विवरणों से अधिक कुछ नहीं है। स्क्लंगेल बंधुओं की पुस्तकें अवश्य अपवाद है, किंतु उनसे भी आज की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती । " साहित्यिक इतिहास के भावी रूप में प्राचीनतर पद्धतियों के द्वारा आविष्कृत योजनाओं के रिक्त अंशों की पूर्ति मात्र नहीं होगी । यह आवश्यक है कि साहित्यिक इतिहास के एक नये आदर्श की उद्भावना हो और ऐसी नई पद्धतियाँ विकसित की जायें, जिनसे इस आदर्श की प्राप्ति हो सके । कला के रूप में साहित्य के इतिहास के नवीन आदर्श की जो रूप रेखा ऊपर उपस्थित की गई है, वह एकांगी प्रतीत हो सकती है, किंतु हमने अन्य पद्धतियों को सर्वथा व्यर्थ नहीं माना है। इधर साहित्यिक इतिहास में स्फीति की जो प्रवृत्ति देखी जा रही है, उसका निवारण एकाग्रता से ही संभव है । साहित्य का कोई इतिहास लेखक चाहे तो एका- घिक पद्धतियों का मिश्रण कर सकता है, किंतु पद्धतियों के परस्पर संबंध की योजना की स्पष्ट चेतना से दिमागी उलझनों से बचा जा सकता है । १. २. ३. ४८ ४. ५. टिप्पणियाँ उदाहरणार्थ, René Wellek, Rise of English Literary History, Chapel Hill, १९४१, तथा Austin Warren & René wellek, Theory of Literature, लंदन, १९५४, जिन पर यह अध्याय मुख्यतः अवलंबित है। (Oliver Blton Survey of English.Literature, १७८०-१८३०, छह भाग, लंदन, १९१२, भाग १, पृ० VII George Saintsbury History of Criticism and Literary Taste in Europe, तीन भाग । सेंट्सबेरी पर ओलिवर एल्टन का भाषण, Proceedings of the British Academy, XIX, 19333 तथा Dorothy Richardson : Saintsbury and Art for Arts Sake" Publications of the Modern Language Association of America, LIX (1944), पृ० २४३-६० । Edmund Gosse, A Short History of Modern English Literature, लंदन, १८९७, भूमिका ।