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साहित्य का उद्देश्य

व्यवसाय ने समाज में क्रान्ति पैदा कर दी उसका प्रतिबिम्ब एक मौलिक प्रकाश के साथ साहित्य में उदय हो गया और नवीन निर्णयात्मक विचारों से भरे हुए नाटककारों का एक नक्षत्र-समूह साहित्य के आकाश में चमक उठा जिसकी दीप्ति आज भी अंग्रेजी साहित्य को प्रकाशमान कर रही है। नए ड्रामा का ध्येय अब बिलकुल बदल गया है। वह केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं है, वह केवल घड़ी दो घड़ी हंसाना नहीं चाहता, वह समाज का परिष्कार करना चाहता है, उसकी रूढ़ियों के बन्धनों को ढीला करना चाहता है और उसके प्रमाद या भ्रान्ति को दूर करने का इच्छुक है। समाज की किसी न किसी समस्या पर निष्पक्ष रूप से प्रकाश डालना ही उसका मुख्य काम है और वह इस दुस्तर कार्य को इस खूबी से पूरा कर रहा है कि नाटक की मनोरंजकता में कोई बाधा न पड़े, फिर भी वह जीवन की सच्ची आलोचना पेश कर सके।

लेकिन विचित्र बात यह है कि नवीन ड्रामा के प्रवर्तकों में एक भी अंग्रेज नहीं है। इबसेन, माटरलिंक, और स्ट्रिडबर्ग, स्वेडेन, बेलजियम और जर्मनी के निवासी हैं, पर अंग्रेजी ड्रामा ने इन्हें इतना अपनाया है कि आज ये तीनों महान पुरुष अंग्रेजी साहित्य के उपास्य बने हुए हैं। इबसेन को तो नए ड्रामा का जन्मदाता ही कहना चाहिए। वह पहला व्यक्ति था जिसने ड्रामा को समाज की आलोचना का साधन बनाया। नए समाज में स्त्रियों का स्थान ऊँचा करने में उसने जो कीर्ति प्राप्त की है, वह अन्य किसी साहित्यकार को नहीं मिल सकी। और माटरलिंक अपने ड्रामों में उन सत्यों का पर्दा खोलने की चेष्टा करता है, जो वर्तमान जड़वाद की व्यापकता के कारण विस्मृत से हो गये हैं। उसके पात्र हाड़-मास के मनुष्य नहीं, मनोभावों या आध्यात्मिक अनुभूतियों ही के नाम होते हैं। अंग्रेज नाटककारों में बर्नार्ड शा का नाम सब से मशहूर है, यहाँ तक कि अंग्रेजी-साहित्य में उसी का डंका बज रहा है। वह आयरलैंड का निवासी है, और व्यंग परिहास और चुटकियाँ लेने की जो प्रतिभा आयरिश बुद्धि की विशेषता है, वह उसमें कूट-कूट कर