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समकालीन अंग्रेजी ड्रामा

 

बीसवीं सदी के अंग्रेजी ड्रामा के विषय में अगर यह कहा जाय कि वह मौजूदा साहित्य का सबसे प्रभावशाली अंग है, तो वेजा न होगा। एलिजाबीथन युग का ड्रामा अधिकतर अमीरों और रईसों के मनोरंजन के लिए ही लिखा जाता था। शेक्सपियर, बेन जानसन और कई अन्य गुमनाम नाटककार उस युग को अमर कर गये हैं। यद्यपि उनके ड्रामे में भी गौण रूप से समाज का चित्र खींचा गया है, और भाव, भाषा तथा विचार की दृष्टि से वे बहुत ही बड़ा महत्व रखते है। लेकिन यह निर्विवाद है कि उनका लक्ष्य समाज का परिष्कार नहीं, वरन् ऊँची सोसाइटी का दिल बहलाव था। उनके कथानक अधिकतर प्राचीन काल के महान पुरुषों का जीवन या प्राचीन इतिहास की घटनाओं अथवा रोम और यूनान की पौराणिक गाथाओं से लिये जाते थे। शेक्सपियर आदि के नाटकों में भिन्न भिन्न मनावृत्तियों के पात्रों का अत्यन्त सजीव चित्रण और बड़ा ही मार्मिक विश्लेषण अवश्य है। और उनके कितने ही चरित्र तो साहित्य में ही नहीं साधारण जीवन में भी अपना अमर प्रभाव डाल रहे हैं। लेकिन यथार्थ जीवन की आलोचना उनमें नहीं की गई है। उस समय ड्रामा का यह उद्देश्य नहीं समझा जाता था। तीन सदियों तक अंग्रेजी ड्रामा इसी लीक पर चलता रहा। बीच में शेरिडन ही एक ऐसा नाटककार पैदा हुआ, जिसके ड्रामे अधिकतर व्यंग्यात्मक हैं, अन्यथा साहित्य का यह विभाग कुछ आगे न बढ़ सका। यकायक उन्नीसवीं सदी की पिछली शताब्दी में रंग बदला और विज्ञान तथा

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