मि॰ जेम्स ओपेनहाइम अँग्रेज़ी के अच्छे कहानी-लेखक हैं। हाल में एक अँग्रेजी पत्रिका के सम्पादक ने कहानी-कला पर मि॰ ओपेनहाइम से कुछ बातचीत की थी। उनमें जो प्रश्नोत्तर हुआ, उसका सारांश हम पाठकों के मनोरंजन के लिए यहाँ देते हैं। पत्रिकाओं में जितनी कहानियाँ आती हैं, उतने और किसी विषय के लेख नहीं आते। यहाँ तक कि उन सबों को पढ़ना मुश्किल हो जाता है। अधिकांश तो युवकों की लिखी होती है, जिनके कथानक, भाव, भाषा, शैली में कोई मौलिकता नहीं होती और ऐसा प्रतीत होता है कि कहानी लिखने के पहले उन्होने कहानी कला के मूल तत्वों को समझने की चेष्टा नहीं की। यह बिलकुल सच है कि सिद्धान्तों को पढ़ लेने से ही कोई अच्छा कहानी-लेखक नहीं हो जाता, उसी तरह जैसे छन्द-शास्त्र पढ़ लेने से कोई अच्छा कवि नहीं हो जाता। साहित्य-रचना के लिए कुछ न कुछ प्रतिभा अवश्य होनी चाहिए। फिर भी सिद्धान्तों को जान लेने से अपने में विश्वास आ जाता है और हम जान जाते हैं, कि हमें किस ओर जाना चाहिए। हमें विश्वास है, इस कहानी-लेखक के विचारों से उन पाठकों को विशेष लाभ होगा, जो कहानी लिखना और कहानी के गुण-दोष समझना चाहते हैं-
प्रश्न-पहले आपके मन में किसी कहानी का विचार कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर-तीन प्रकार से। पहला, किसी चरित्र को देखकर। किसी व्यक्ति में कोई असाधारणता पाकर मैं उस पर एक कहानी की कल्पना
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