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साहित्य में ऊँचे विचार की आवश्यकता
वाली कठिनाइयो का सामना कर सके। अगर साहित्य से जीवन का सही रास्ता न मिले, तो ऐसे साहित्य से लाभ ही क्या । जीवन की आलोचना कीजिए चाहे चित्र खींचिए आर्ट के लिए लिखिए चाहे ईश्वर के लिए, मनोरहस्य दिखाइए चाहे विश्वव्यापी सत्य की तलाश कीजिए-अगर उससे हमे जीवन का अच्छा मार्ग नहीं मिलता, तो उस रचना से हमारा कोई फायदा नही । साहित्य न चित्रए का नाम है, न अच्छे शब्दो को चुनकर सजा देने का, अलंकारो से वाणी को शोभायमान बना देने का । ऊँचे और पवित्र विचार ही साहित्य की जान है।
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