कहानी सदैव से जीवन का एक विशेष अंग रही है । हर एक बालक
को अपने बचपन की वे कहानियाँ याद होंगी, जो उसने अपनी माता
या बहन से सुनी थीं। कहानियों सुनने को वह कितना लालायित रहता
था, कहानी शुरू होते ही वह किस तरह सब-कुछ भूलकर सुनने मे तन्मय
हो जाता था, कुत्ते और बिल्लियो की कहानियाँ सुनकर वह कितना प्रसन्न
होता था-इसे शायद वह कभी नहीं भूल सकता । बाल-जीवन की मधुर
स्मृतियो मे कहानी शायद सबसे मधुर है । वह खिलौने, मिठाइयाँ और
तमाशे सब भूल गये; पर वे कहानियाँ अभी तक याद है और उन्ही
कहानियों को आज उसके मुंह से उसके बालक उसी हर्ष और उत्सुकता
से सुनते होगे। मनुष्य-जीवन की सबसे बड़ी लालसा यही है कि वह
कहानी बन जाय और उसकी कीर्ति हर एक जबान पर हो।
कहानियों का जन्म तो उसी समय मे हुआ, जब आदमी ने बोलना
सीखा; लेकिन प्राचीन कथा-साहित्य का हमे जो कुछ ज्ञान है, वह 'कथा-
सरित्सागर,' 'ईसप की कहानियों' और 'अलिफ़-लैला' आदि पुस्तकों से
हुआ है। ये सब उस समय के साहित्य के उज्ज्वल रत्न है। उनका
मुख्य लक्षण उनका कथा-वैचित्र्य था। मानव-हृदय को वैचित्र्य से सदैव
प्रेम रहा है। अनोखी घटनाश्रो और प्रसंगों को सुनकर हम, अपने बाप-
दादा की भॉति ही, आज भी प्रसन्न होते है । हमारा ख्याल है कि जन-
रुचि जितनी आसानी से अलिफ लैला की कथाओ का आनन्द उठाती