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उपन्यास

मिला? ( फ्रान्स रोमन कैथोलिक देश है और प्रोटेस्टेट वहाँ साधारणतः नहीं दिखायी पड़ते।) मालूम हुआ कि उसने एक बार, केवल एक बार, कई प्रोटेस्टेट युवकों को बैठे और बाते करते देखा था। बस, एक का देखना उसके लिए पारस हो गया । उसे वह आधार मिल गया जिसपर कल्पना अपना विशाल भवन निर्माण करती है। उसमे वह ईश्वरदत्त शक्ति मौजूद थी जो एक इञ्च से एक योजन की खबर लाती है और जो शिल्पी के लिए बडे महत्त्व की वस्तु है।'

मिस्टर जी० के० चेस्टरटन जासूसी कहानियाँ लिखने मे बडे प्रवीण हैं। आपने ऐसी कहानियों लिखने का जो नियम बताया है, वह बहुत शिक्षाप्रद है । हम उसका आशय लिखते है-

'कहानी मे जो रहस्य हो उसे कई भागो मे बॉटना चाहिए । पहले छोटी-सी बात खुले, फिर उससे कुछ बड़ी और अन्त मे रहस्य खुल जाय । लेकिन हरएक भाग मे कुछ न कुछ रहस्योद्घाटन अवश्य होना चाहिए जिसमे पाठक की इच्छा सब-कुछ जानने के लिए बलवती होती चली जाय । इस प्रकार की कहानियो मे इस बात का ध्यान रखना परमा- वश्यक है कि कहानी के अन्त मे रहस्य खोलने के लिए कोई नया चरित्र न लाया जाय । जासूसी कहानियो मे यही सबसे बड़ा दोष है । रहस्य के खुलने मे तभी मजा है जबकि वह चरित्र अपराधी सिद्ध हो, जिस पर कोई भूलकर भी सन्देह न कर सकता था ।'

उपन्यास कला मे यह बात भी बड़े महत्त्व की है कि लेखक क्या लिखे ओर क्या छोड़ दे। पाठक कल्पनाशील होता है, इसलिए वह ऐसो बाते पढ़ना पसन्द नहीं करता जिनकी वह आसानो से कल्पना कर सकता है । वह यह नहीं चाहता कि लेखक सब कुछ खुद कह डाले और पाठक की कल्पना के लिए कुछ भी बाकी न छोडे । वह कहानी का खाका-मात्र चाहता है, रंग वह अपनी अभिरुचि के अनुसार भर लेता है। कुशल लेखक वही है जो यह अनुमान कर ले कि कौन सी बात पाठक स्वय सोच लेगा और कौन-सी बात उसे लिखकर स्पष्ट कर देनी

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