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आलोचना व निबन्ध

साहित्य-सीकर

१—वेद

वेद शब्द "विद्" धातु से निकला है। इस धातु से जानने का अर्थ निकलता है। अतएव वेद वह धर्म्म-ग्रन्थ है जिसकी कृपा से ज्ञान की प्राप्ति होती है—जिससे सब तरह की ज्ञान की बातें जानी जाती हैं।

वेद पर सनातनधर्म्मावलम्बी हिन्दुओं का अटल विश्वास है। वेद हम लोगों का सब से श्रेष्ठ और सबसे पुराना ग्रन्थ है। वह इतना पुराना है कि किरिस्तानों का बाइबिल, मुसलमानों का कुरान, पारसियों का जेन्द-आवेस्ता और बौद्धों के त्रिपिटक आदि सारे धर्म-ग्रन्थ प्राचीनता में कोई उसकी बराबरी नहीं कर सकते। इसी से वेद को अन्य धर्म्मावलम्बी विद्वान् भी आदर की दृष्टि से देखते हैं। जर्मनी में तो कुछ विद्वानों ने केवल वेद-विषयक साहित्य के परिशीलन में अपनी सारी उम्र खर्च कर दी है। वेद यद्यपि एकमात्र हमारे पूर्वजों की सम्पत्ति है; तथापि कोई ५०-६० वर्षों से उसकी चर्चा इस देश की अपेक्षा पश्चिमी देशों ही में अधिक है। हाँ, अब कुछ दिनों से यहाँ के भी कोई कोई विद्वान् वैदिक साहित्य के अध्ययन, अध्यापन, समालोचन और प्रकाशन में दत्तचित्त हुए हैं।