पृष्ठ:साहित्य सीकर.djvu/११२

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१४—सम्पादकीय योग्यता

ग्रेड मैगजीन नाम की एक मासिक पत्रिका अँगरेजी में निकलतीं है? उसमें एक लेख निकला है। उस लेख में वर्तमान समय के विद्वानों और मुख्य मुख्य समाचार-पत्रों के सम्पादकों की इस विषय में सम्मतियाँ प्रकाशित हुई हैं कि समाचार-पत्रों को कामयाबी के लिये सम्पादक में कौन कौन गुण होने चाहिएँ। विषय बड़े महत्व का है। इससे कुछ सम्मतियों का संक्षिप्त भावार्थ हम यहाँ पर प्रकाशित करते हैं। आशा है, हिन्दी के समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं के सम्पादकों के लिये ये सम्मतियाँ उपदेशजनक नहीं, तो मनोरञ्जक जरूर होंगी—

सर ड्यू गिलजीन रीड कहते—"सम्पादक का पद पाना सौभाग्य की बात है। सम्पादकों के कर्तव्य एक नहीं, अनेक हैं। उन्हें पूरी-पूरी स्वाधीनता रहती है। जिम्मेदारी भी उन पर कम नहीं रहती। जिसने एक दफे यह काम किया उसे उसमें कुछ ऐसा आनन्द मिलता है कि उसका उत्साह बढ़ता ही जाता है। इस काम के लिये लड़कपन ही से सम्पादकीय शिक्षा की जरूरत होती है। इसके लिये धैर्य्य दरकार है। जल्दीं करने से कामयाबी नहीं होती।"

"मुख्य बात तो यह है कि सम्पादक बनाने से नहीं बनता, उसके लिये जिन गुणों की अपेक्षा होती है वे जन्म ही से पेदा होंते हैं। साहित्य का उत्तम ज्ञान, दूरदर्शिता और व्यापक दृष्टि आदि बातें तजुर्बे और अध्ययन से प्राप्त हो सकती हैं, पर सम्पादकीय कार्य में कामयाबी की कुञ्जी मनुष्य माँ के पेट ही से लाता है"।