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सम्पादकीय योग्यता

रिब्यू आफ रिव्यूज के सम्पादक स्टीड साहब, कहते हैं—"सम्पादक का पहला गुण यह होना चाहिये कि प्रत्येक विषय का उसे अच्छा परिज्ञान हो, चाहे जो विषय हो उस पर लेख लिखने में उसे आनन्द मिले और जिस विषय की वह चर्चा करे जी-जान होम कर करे; किसी बात की कसर न रक्खे।"

'दूसरा गुण सम्पादक में यह होना चाहिये कि जिस विषय पर उसे कुछ लिखना हो उस विषय का उसे पूरा-पूरा ज्ञान हो¡ तत्सम्बन्धी अपने विचारों को खूब अच्छी तरह, निश्चयपूर्व, अपने मन में स्थिर कर ले। इसके बाद वह उन विचारों को इस प्रकार साफ़-साफ प्रकट करें कि महामूर्ख आदमी भी उसकी बातें सुन कर उसके दिली मतलब को समझ जाय। ऐसा न हो कि उसका मतलब कुछ हो पर पढ़नेवाले कुछ और ही समझे।"

"सम्पादक के लिये एक और बात की भी जरूरत है। वह यह कि उसे सोना अच्छी तरह चाहिये। यदि किसी कारण किसी रात को कम नींद आवे तो मौका पाते ही उस कमी को किसी और रात को पूरा कर लेना चाहिये।"

इसके कहने की मैं कोई जरूरत नहीं समझता कि सम्पादक के लिये अच्छे स्वास्थ्य, विशेष परिश्रम और उत्तम बुद्धिमता आदि की भी आवश्यकता है। ये गुण तो होने ही चाहिएँ। हाँ, एक बात की मैं सब से अधिक जरूरत समझता हूँ। सम्पादक की विचारशक्ति इतनी तीव्र होनी चाहिये कि सूक्ष्म से सूक्ष्म बात भी उसके ध्यान में आ जाय"।

व्यलफास्ट न्यूज लेटर के सम्पादक, सर जेम्स हेंडरसन, कहते हैं—'समालोचना करने की शक्ति, जिस विषय का विचार चला हो उसे ऐसी चित्ताकर्षक भाषा में लिखना, जिसे पढ़ते ही पढ़नेवाले का चित्त उस तरफ खिंच जाय और उसे पढ़े बिना उससे न रहा जाय,