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सम्पादकों के लिए स्कूल

भी रहे हैं हुये भी इस स्कूल में, कुछ काल तक रहकर, संपादन-कला में कुशलता प्राप्त कर सकेंगे। इस स्कूल के लिये बीस लाख डालर धन एकत्र किया गया है; और पचास हजार डालर लगाकर इसकी इमारत बन रही है। हारवर्ड विश्वविद्यालय के सभापति, इलियट साहब, से पूछा गया था कि इस स्कूल में कौन-कौन विषय सिखाये जायँ। इलियट साहब ने विषयों की नामावली इस प्रकार दी हैं—

प्रबन्ध-विषय—दफ़्तर की स्थिति-स्थापकता; प्रकाशक के कर्तव्य; अखबार का प्रचार; विज्ञापन-विभाग; सम्पादकीय और सम्वाददाताओं का विभाग; स्थानीय बाहरी और विदेशी समाचार-विभाग; साहित्य और समालोचना-विभाग; राज-कर-विभाग; खेल कूद और शारीरिक व्यायाम-विभाग। इन सब विभागों के विषय में अच्छी तरह से शिक्षा दी जायगी और प्रत्येक विषय की छोटी से भी छोटी बातों पर व्याख्यान होंगे।

कला-कौशल (कारीगरी) विषय—छापना, स्याही, कागज, इल्यक्ट्रो टाइपिंग, स्टीरियो टाइपिंग, अक्षर-योजना, अक्षर ढालना, चित्रों की नकल उतारना, जिल्द बाँधना, कागज काटना और सीना इत्यादि।

कानून-विषय—स्वत्व-रक्षण-(कापी-राइट)-विधि; दीवानी और फौजदारी मान-हानि-विधि; राजद्रोह-विषयक विधि, न्यायालय के कार्यों का समालोचना-सम्बन्धी कर्तव्य, सम्पादक, प्रकाशक, लेखक, और संवाददाताओं की जिम्मेदारी का विधान। संपादकीय कर्तव्याकर्तव्य अथवा नीतिविद्या। सम्पादकों की सर्वसाधारण के सम्बन्ध रखने वाली जिम्मेदारी का ज्ञान। समाचारों को प्रकाशित करने में समाचार पत्रों के सम्पादक और स्वामी के मत-प्रदर्शक की सीमा। मत प्रकट करने में सम्पादक, प्रकाशक और सम्वाददाताओं का परस्पर सम्बन्ध।

अखबारों का इतिहास। अखबारों की स्वतन्त्रता इत्यादि।