के पत्र अलग ही निकलते हैं। अमेरिका के विश्वविद्यालय भी अपने-अपने पत्र अलग-अलग निकालते हैं आध्यात्मिक विषयों के पत्र भी कुछ दिनों से बहुत बढ़ गये है। मतलब यह है कि अमेरिका में सब लोगों के काम के पत्र निकलते हैं।
अमेरिका के कुछ पत्र-संचालकों को छोड़ कर बाकी सब के पत्र निकालने का मुख्य उद्देश या तो किसी प्रकार का स्वार्थ साधन होता है या धनोपार्जन। केवल परोपकार के लिए कोई पत्र नहीं निकालता। वे लोग पत्रों को निकालते इस ढङ्ग से हैं कि सर्वसाधारण को खूब रुचिकर हों। इसलिये उनके ग्राहकों की संख्या थोड़े ही दिनों में लाखों तक पहुँच जाती है। फल यह होता है कि स्वार्थ सिद्धि के साथ-साथ प्रकाशकों को आर्थिक लाभ भी खूब होता है। कोई-कोई तो थोड़े ही दिनों में करोड़पति तक हो जाते हैं।
अमेरिका के बड़े-बड़े दैनिक समाचार पत्रों के प्रकाशित करने का प्रबन्ध बहुत अच्छा है। पत्र-सम्बन्धी प्रत्येक काम के लिये एक एक विभाग रहता है प्रबन्ध-विभाग का काम आय-व्यय का हिसाब रखना है। विज्ञापन विभाग का कर्त्तव्य विज्ञापनों को इकट्ठा करना, उन्हें उचित स्थान पर छपवाना और उनका लेखा रखना है। छपाई विभाग छपाई सम्बन्धी कुल काम करने का जिम्मेदार है। फोटो लेने, चित्र, तस्वीरें, नकशे खींचने-बनाने, दिल्लगी के चित्र बनाने और उनके ब्लाक तैयार करने का काम चित्र-विभाग के सिपुर्द रहता है। बिक्री विभाग वाले कर्मचारी ग्राहकों और थोकबन्दी एजेन्टों के पास पत्र भेजते हैं और नित्य बाज़ार में बेचने का प्रबन्ध करते हैं। लेख-विभाग कई हिस्सों में बैठा रहता है। नगर-सम्पादक का काम स्थानिक समाचार एकत्र करना है। संवाददाता लोग दिन भर नगर में घूमते, लोगों से मिलते और समाचार इकट्ठे करते रहते हैं। ज्योंही कोई समाचार मिला त्योंही उसे लिख कर नगर-सम्पादक को दे दिया। जो