दैनिक पत्र सबेरे प्रकाशित होते हैं उनके दो नगर सम्पादक होते हैं। एक रात के लिए, दूसरा दिन के लिये। उनका काम यह है कि समाचार या लेख पाते ही जल्दी से देख जायँ और उस पर 'हेडिंग' दे दें। तब उसे "कापी-रीडर" लेता और उसका संशोधन करता है। तार-विभाग देश ही भर के नहीं, किन्तु संसार भर के समाचार इकट्ठा करता है। सम्पादकीय विभाग संपादकीय लेख और नोट तैयार करता है। साहित्य विभाग का काम ऐसे लेख तैयार करना है जिनसे पाठकों का मनोरंजन हो। अर्थात् यह विभाग छोटी-छोटी आख्यायिका, उपन्यास, यात्रा-वृत्तान्त, किसी स्थल, नगर या जाति के वर्णन और चुटकुलों से पत्र को विभूषित करता है। इन सब विभागों की देख-भाल एक मैनेजिंग एडिटर करता है। इस पद पर वही आदमी नियुक्त किया जाता है जो समाचार-पत्र-सम्बन्धी कामों का खूब अनुभव रखता हो। उसका मुख्य काम यह है कि पत्र-संबंधी सब कामों पर निगाह रक्खे और यह देखे कि सब कर्मचारी अपना-अपना काम ठीक-ठीक करते हैं या नहीं। सब विभागों के मुख्य कर्मचारी नित्य सवेरे और शाम को एक जगह इकट्ठे होते हैं और इस बात पर वादानुवाद करते हैं कि कौन विषय किस तरह प्रकाशित करना चाहिये। अमेरिका के प्रत्येक बड़े-बड़े दैनिक पत्र के कार्यालय से हर इतवार को एक साप्ताहिक संस्करण भी निकलता है। उसके सम्पादकीय कर्मचारी दैनिक पत्र के कर्मचारी से अलग रहते हैं।
यह हम पहले ही कह चुके हैं कि समाचार-पत्र संचालकों का कुछ न कुछ उद्देश्य जरूर होता है। यदि कोई ऐसा लेख लिखे जिससे उस उद्देश्य की पूर्ति में बाधा पड़ती हो तो वे उस लेख का भावार्थ एकदम बदल देते हैं और उसे अपने मतलब का बना लेते हैं। अभी हाल में "हिन्दुस्तान-रिव्यू" की दो संख्याओं में अमेरिका के अखबारों पर एक लम्बा लेख प्रकाशित हुआ है। उसके लेखक संत निहालसिंह