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साहित्य-सीकर

को लोग अधिक पसन्द करते हैं। इन पत्रों में विदेशी तार-समाचारों की अच्छी भरमार रहती है। इसके सिवा भिन्न-भिन्न विषयों पर सम्पादकीय लेख भी रहते हैं।

चीन अत्यन्त संरक्षणशील देश है। पर आजकल वहाँ बड़ी शीघ्रता से परिवर्तन हो रहा है। यह बात अखबारों के लेखों की अपेक्षा विज्ञापनों से अधिक प्रकट होती है। एक उदाहरण लीजिये। अब तक चीन देशवासी पृथिवी को चिपटी मानते थे। परन्तु अब चीनी समाचार-पत्रों में वर्तुलाकार पृथिवी के (Globes) के विज्ञापन बहुत छपते हैं। इसी प्रकार अन्य सैकड़ों प्रकार की यूरोपियन चीज़ों के विज्ञापन, ठेठ चीनी अखबारों में धड़ाधड़ प्रकाशित होते हैं।

किसी-किसी अखबार में चीनी भाषा के साथ साथ अंग्रेज़ी के भी कई कालम रहते हैं। वहाँ अँगरेजी भाषा का प्रचार दिन पर दिन बढ़ता जाता है। अँगरेजी में तार-समाचारों के सिवा शिक्षा, राजनीति और समाज सुधार-सम्बन्धी लेख भी रहते हैं। इससे मालूम होता है कि चीन देशवासी अब जाग उठे हैं और समझने लगे हैं कि हमारी क्या दशा है और हमें क्या करना चाहिये।

उन्नति की इच्छा रखने वाली अन्य जातियों की तरह चीनी जाति के शिक्षित युवक भी अपने देशवासियों को जगाने का प्रयत्न कर रहे हैं। हम लोगों के इस उद्देश की पूर्त्ति करने वाले कई पत्र निकलते हैं। यद्यपि सर्वसाधारण लोग इन पत्रों को बहुत पसन्द करते हैं, तथापि राजकर्मचारी और विदेशी लोगों की कोप-दृष्टि इन पर अकसर पड़ा करती है। तिस पर भी इस प्रकार पत्र दिन-दिन उन्नति करते जाते हैं।

अखबार वाले अपनी स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिये बड़ा आन्दोलन कर रहे हैं। इसके सिवा वे लोग डाक और तार का महसूल भी कम करना चाहते हैं। और सरकारी कारवाइयों को प्रकाशित करने तथा