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पृष्ठ:साहित्य सीकर.djvu/५०

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साहित्य-सीकर

प्रवीण थे। पर धर्मशास्त्र और दर्शन में उनकी विशेष गति न थी। इसलिए व्याकरण और काव्य का यथेष्ट अभ्यास कर चुकने पर, जब सर बिलियम ने धर्मशास्त्र का अध्ययन शुरू किया तब उन्हें एक और पंडित रखना पड़ा। यवनों को संस्कृत सिखाना पहले घोर पाप समझा जाता था, पर अब इस तरह का ख्याल कुछ ढीला पड़ गया। इससे सर विलियम को धर्मशास्त्री पंडित ढूँढ़ने में विशेष कष्ट नहीं उठाना पड़ा।

सर विलियम जोन्स, १७८३ ईसवी में, जज होकर कलकत्ते आये और १७९४ में वहीं मरे। हिन्दुस्तान आने के पहले आक्सफर्ड में उन्होंने फारसी और अरबी सीखी थी। उनका बनाया हुआ फारसी का व्याकरण उत्तम ग्रन्थ है। वह अब नहीं मिलता। बङ्गाल की एशियाटिक सोसायटी उन्हीं की कायम की हुई है। उसे चाहिये कि इस व्याकरण को वह फिर से प्रकाशित करे, जिसमें सादी और हाफिज की मनोमोहक भाषा सीखने की जिन्हें इच्छा हो वे उससे फायदा उठा सकें। हिन्दुस्तान की सिविल सर्विस के मेम्बरों के लिए वह बहुत उपयोगी होगा।

[जून, १९०८