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साहित्य-सीकर

के जीवन-पर्यन्त यह अधिकार सब को प्राप्त रहेगा जो सब से पीछे मरे। इन दोनों अवधियों में से कौन प्रामाणिक मानी जायगी इस बात का निर्णय करने के लिए इस कानून में यह लिखा है कि दोनों अवधियों में से जो सब से अधिक लम्बी होगी वही ठीक मानी जायगी। यदि ऐसे शामिलाती ग्रन्थकारों में से कोई कापी राइट के नियमों की पाबन्दी न करे तो इससे अन्य आंशिक ग्रन्थकारों के स्वत्वों में कोई अंतर न पड़ेगा। यदि काई ग्रन्थ ग्रन्थकार के मरने के बाद प्रकाशित किया जाय तो उसके वारिसों को ग्रन्थ प्रकाशन के बाद पचास वर्ष तक उस पर अधिकार रहेगा। जो पुस्तके गवर्नमेंट प्रकाशित करती है उन पर भी केवल पचास वर्ष तक अधिकार रहेगा। इसी प्रकार फोटोग्राफरों को अपने लिये हुये फोटों पर, निगेटिव तैयार करने के पचास वर्ष बाद तक ही, अधिकार रहेगा।

पुस्तक के संशोधित और परिवर्धित संस्करण निकालने का अधिकार भी केवल उसी को प्राप्त है जिसके नाम कापी-राइट हो। यदि कोई मनुष्य किसी पुस्तक के लिखने या संग्रह करने में दूसरों से सहायता ले अथवा अन्य लोगों को पुरस्कार देकर अपने लिए कोई पुस्तक लिखावे तो उसको उस पुस्तक पर पूरा-पूरा स्वत्वाधिकार प्राप्त होगा। परन्तु यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की बनाई हुई पुस्तक के आधार पर उस का सारांश अपने ढंग पर और अपने शब्दों में लिखता है और उस पुस्तक के अनावश्यक और अनुपयोगी अंशों को छोड़ देता है तो उसकी वह पुस्तक इस कानून के अनुसार नई समझी जायगी और यह माना जायगा कि उसने कापी-राइट के नियमों को नहीं तोड़ा। इस दशा में असली पुस्तक का स्वत्वाधिकारी सारांश लेखक पर किसी प्रकार का दावा न कर सकेगा। पर यदि कोई मनुष्य किसी दूसरे के ग्रन्थ का सारांश अपने शब्दों में और अपने ढंग पर न लिखकर असली ग्रन्थकर्त्ता ही की लिखी हुई मुख्य-मुख्य बातों