पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२१८

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इक्कीसवाँ अध्याय सां प ध म ग, सा रे ग ऽ सा निऽफिर मन्द्र पंचम से आरोही लेकर धैवत वर्जित करते हुए षड्ज पर आते हैं, जैसे प नि सा रे ग सा। फिर, देस से पृथक रखने के लिये वादी षड्ज तथा संवादी पंचम मानना उचित है। यह राग तिलक और कामोद का मिश्रण है। इसमें रेप और म प सां, कामोद के ही अङ्ग हैं। गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर है। आरोहः-सा रे ग सा, रे म प ध म प सां और अबरोही सां प, ध म ग, सा रे ग, सा नि । मुख्यांगः-प नि सा रे ग सा, रे प म ग सा नि है । अलाप- सा, नि सा, पनि सा, प नि सा रे ग सा, सा रे ग, रे सा नि सा, रे म ग, रे सा नि, रे म प ध म ग, सा रे ग, सा नि, रे प म ग, सा रे ग, सा नि, प नि सा रे ग सा । रे, म प, प, रे ग नि सा रे म प 5 प, म प सां, प ध ऽ म ग, म प नि सां, स प ध म ग सा रे ग सा नि, पनि सा रे नि सा, रे म प ध म प स प ध म ग, सां रें गं सां रें नि, पनि सां रें गं सां, सां रे नि सा प ध म ग, सा रे ग, सा नि, पनि सा रे ग सा । म म पप नि नि सां, प नि सां रें गं सां, रें पं मं गं, सां रें गं सां नि, प नि सां, पध प म ग, रेप म ग, सां प ध म ग, सा रे ग सा नि, पनि सा रे ग सा। ताने- १-सा रे ग सा, रे प म ग सा रे ग सा, रे म प ध म ग सा रे ग सा, रे म प ध म प सां प ध म ग ऽ सा रे ग सा, रे म पनि सां रे नि सां रें सां नि सा प ध म ग सा रे ग सा। २-सा रे म प, रे म प ध, म प नि सां, प नि सां रेंगं सां, रें पं मं गं सां रे नि सांप ध प म ग रे सा नि प नि सा रे ग सा । ३-सा रे रे, रे म म, म प प, प नि नि, प सां सां, सा रे, रे म, म प, पनि, प सां, पनि सा रे गं सां, प नि सा रे ग सा, सां प प, ध म म, प ग ग, सा रे ग सा नि, पनि सा रे ग सा। -तिलंग यह खमाज अंग का राग है। इसमें दोनों निषाद तथा शेष स्वर शुद्ध लगते हैं। ऋषभ-धैवत वर्जित हैं। अतः जाति औडव-औडव है। प्रारोह में तीव्र एवं अवरोह में कोमल निषाद लगता है। तानें लेते समय केवल तार सप्तक में ऋषभ का प्रयोग भी कभी-कभी कर लेते हैं। वादी स्वर गांधार व संवादी निषाद है। गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर है । आरोह सा ग म प नि सां और अवरोह सां नि प म ग सा हैं। मुख्यांगः- ग म प नि प म ग है। अलाप-- सा नि, नि सा, नि पनि सा, प नि सा, सा ग, सा ग म, ग सा, सा ग म प म, प ग, सा नि पनि सा ग, सा ग म प म नि प म प म ग, ग म पनि ऽ नि प म ग,