पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/३३

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सितार मालिका में केवल सम्पूर्ण आरोही-अवरोही ही बजाना चाहते हैं। परन्तु यदि आपके बाएं हाथ को अभ्यास कम है और इस बढ़ी हुई लय में कहीं भी रुकावट अथवा गति में गड़बड़ पैदा हो जाती है तो समझ लीजिये कि मिठास नष्ट होगया। के तार इसी प्रकार यदि इस बढ़ी हुई लय में आपकी मिजराब केवल बाज ही न बजा कर, शेष समस्त तारों को भी बजा रही है तो सुनने वालों को बाज के तार की स्पष्ट ध्वनि न सुनाई देकर एक झनकार ही सुनाई देगी, जिसमें मूल स्वर छिपे-छिपे से सुनाई देंगे। परिणाम स्वरूप यही कहा जायेगा कि आपके हाथ में मिठास नहीं है। अतः मिठास उत्पन्न करने के लिये इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जहां तक हो, जिस तार को चाहें, मिजराब उसे ही बजाये अन्य को नहीं । इसके अतिरिक्त एक बात ऐसी भी है जिसको जानते हुए भी गुणी नहीं बता पाते। नहीं बताने के अर्थ यह कभी नहीं हैं कि वह बताना ही नहीं चाहते। परन्तु बात यह है कि उन्हें उस बात का इतना अधिक अभ्यास हो गया है कि वह स्वयं भी यह अनुभव नहीं कर पाते कि वह उस क्रिया को स्वयं कर भी रहे हैं, अथवा नहीं । उदाहरण के लिये यदि कोई आपसे पूछे कि चला कैसे जाता है ? आप तुरन्त उत्तर दे देंगे कि एक पैर उठाओ, फिर दूसरा उससे आगे रख दो। फिर पिछले को उठाकर उससे आगे रख दो। इसी प्रकार करते रहो और बस चलना होगया। क्या आपने भी कभी इस प्रकार करके देखा है ? यदि नहीं तो अभी करिये। श्राप देखेंगे कि इस प्रकार चलने में बड़ी असुविधा होती है। मालूम होता है कि पृथ्वी कूटते हुए चल रहे हैं। तब भला चलना क्या होता है ? हम चलने में पैर को उठाकर आगे नहीं रखते। बल्कि एड़ी को उठाकर पंजे से पृथ्वी को पीछे की ओर धक्का देते हैं। जब यही क्रिया दोनों पैरों से लगातार होती है तभी चलने में सरलता प्रतीत होती है। इसीलिये तीव्र गति से दौड़ने में केवल पंजों के ही सहारे दौड़ना पड़ता है, ताकि हम शीघ्र ही पृथ्वी को पीछे की ओर धक्का दे सकें। ठीक इसी प्रकार, जैसे सब लोग चलना जानते हुए भी चलने की सुगम क्रिया नहीं बता पाते, वेचारे गुणी भी मिठास के रहस्य को बताना चाहते हुए भी नहीं बता जो इस रहस्य को जानते हैं वह तुरन्त बतला भी देते हैं। पाते। परन्तु आपने कभी पं० रविशंकर जी अथवा श्री विलायत खां साहब का सितार तो सुना ही होगा। इन लोगों के बजाने में ऊपर की दोनों बातें भी आपने देखी ही होंगी, परन्तु एक बात विशेष ऐसी देखी होगी जो प्रत्येक में नहीं है। वह है जोरदार ध्वनि । जोरदार ध्वनि तभी निकलती है जब जोरदार मिजराब तार पर मारी जाये। हम प्रायः सोचते हैं कि हमारे सितार का नाद क्यों इतना बड़ा उत्पन्न नहीं होता जितना कि इन लोगों के सितार का। परन्तु यह बात स्पष्ट है कि इन लोगों की मिजराव भी