पृष्ठ:सुखशर्वरी.djvu/३९

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उपन्यास।

mummmmmmmmmm को खोजने गए हैं !" फिर यह अनाथिनी से बोली,-"यहू ! मेरा घर स्थिर हुआ है, और उसके संग मेरा एक प्रकार से विवाह हो भी गया है!" ____ अनाथिनी,--"किस प्रकार से ? भई ! कुछ समझ नहीं पड़ता, खुलासा कहो ?" सरला,--"कल मैने एक सपना देखा था।वही सपना, जिसपर तुम सबेरे यों कहती थी कि, 'सरला ! सूती सूता क्या हंस रही हो ?' याद है ?" अनाथिनी,--"हां सचमुच तुम हंसती थीं ! अच्छा तुमने कौन घा कैसा सपना देखा है ?" ___ सरला,--"क्या कहूं ! तुम जानती ही हौ कि सरला निर्लज है। देखो, कल मैने स्वप्न देखा था, मानो एक उदासीन के संग मेरा ब्याह हुआ है ! " अनाथिनी,--उदासीन ! किसके लिये उदासीन ? क्यों तुमने उनसे विवाह किया ? वे स्वीकृत हुए थे ?" . सरला,--"कुछ याद नहीं आता! अच्छा, वह बात जाने दो। बहू ! भैया के आते ही तुम्हारा ब्याह होगा।" इस पर अनाथिनी लजाकर चुप होगई कुछ न बोली। सरला ने कहा,-बहू ! तुम्हारा ब्याह होगा, इसे सुनकर तुम खुश क्यों नहीं होती ? देखो मेरा ब्याह अभी केवल सपने में हुआ है, सो मुझे कितना हर्ष है ! कय उदासीन आवेगा! जब स्वप्न देखा था तो यही निश्चय किया था कि चाहे कोई कुछ कहै, पर मैं तो इन्हीं उदासीन से ब्याह करूंगी । बहू ! तुमने भैया की मोहिनी मूर्ति नहीं देखी है, इसीसे तुम्हें आमोद नहीं होता । 'पृथ्वी में कोई मनोनीत वस्तु नहीं पाता' यों कहकर अभी तो तुम बहुत पण्डिताई छांटती थीं, परन्तु तुम मनोनीत वस्तु पाओगी ! यदि उदासीन मिले, तो मैं भी इच्छित वस्तु लाभ करूं। बहू ! भैया का चित्र देखोगी ?" ___यह कहकर सरला दूसरे कमरे में से एक सुन्दर फोटो ले आई । अनाधिनी उसे देखते ही थर्रा कर मूर्छित होगई, और सरला के बहुत यत्न से चैतन्य लाभ करने पर वह बहुत रोदन । करने लगी।