मथुरा भवन भवन भगवाना। जो नृत गीत ललित पुनि गाना ॥३॥
कीन्हेसि भक्ति प्रेम सरसाए। तेहि परिणाम अमर पुर पाए॥
अरु उपकार देखि नृप रानी। जोतहि हृदय दान रुचिमानी॥४॥
ताहि प्रसाद भवन तुव आई। भोगे विविध भोग सुखपाई॥
आज विदित देखत तुव एहा । मृत वश भई तुरत तजि देहा॥६॥
पै यादव वंशी: त्रिय जेहू । रही सो दैव रूप सब तेहू॥
कौतुक करन देव पुर त्यागी। आई धरणि कृष्ण अनुरागी॥ ६॥
गवनी बहुरि अमरपुर काहीं । रही सो मनुज रूप कछु नाही
अस कहि सूरदास हरषाते। माँगि विदाय भक्तिः मदमाते॥७॥
तवा दिलीश सादर धन दीना। भक्त सृष्ट सुइ कारण कीना॥
हमरे नहिन द्रव्य कछु कामा। तब दिलीश वर्णन अभिरामा॥८॥
धरयो शीश नमृत कर जोरी । विनय वदन कछु कीन न थोरी॥
चले सूर तब होत विदाए । हर्षत कृष्ण ललित पुर आए॥९॥
अगणित विमलभक्तिं सरसावन । विरचत कृष्ण चरित पदपावन॥
रहे करत गायनः संसाराः । सकल लोक हित हृदय विचारा॥१०॥
पदन प्रबंध सूर जन नागर । बाँध्यो जनहु सेतु भवसागर॥
बिनु प्रयास कलिकाल मझारा। तिहि प्रसाद उतरत सव पारा॥ ११॥
दो०-सूर सूर सम विदितजग,सकलकविन शिरमौर सूरक्ष्याम जेहि भक्ति वश, भए भक्त चितचोर१ जो लों विचरे धरणि तल,पल न विसारे श्याम।भए अंत अलचरणकल, कंजकृष्ण अभिराम२॥
बाबू रघुनाथ सिंह तअल्लुकेदार भदवर ने मुझे१६दोहे दियेथे उन दोहों में सूरदास के समय-के कवियोंके नाम हैं पर कई एकमें मुझे सन्देह है जो हो वे दोहे नीचे प्रकाश किये जाते हैं।
दो-सूरदासके समयमें, जोकवि भये महान । उन सबसे बढ़िके सर्वे, इन्हें करत सन्मान॥१॥
ओलिराम अकबर अगर दासकवी करनेश। चतुरविहारी गोपकवि,घनआनंद अमरेश॥२॥
आशकरन अजवेस अरु, कादर केशवदास । टोडर गोविंद जैतवि, चरण चतुर्भुजदास ॥३॥
जीवन केशव ताजकवि, होलेराय कवि खेम। योधा जोयेसी चैदेसखि, कृष्णदाँस कवि क्षेम४
अमृत खानखाना जगन, ऊधोरीम कमाल। जमालुद्दीन, जगनन्दकवि, गोविंददास जमाला॥५
जमालुद्दीन कल्याण कवि, फैजी ब्रह्मे फहीम। अभयराम परसिध्दकवि, विट्ठलविपुल रहीम६
अमरसिंह घनश्यामहूं, दील्हे नरोत्तमदास । चेतनचंद कविन्द भैट, वारक विद्यादास ॥७॥
छितस्वामी भगवतरसिक, छत्र बिहारीलाल। मिश्रगंदाधर मानसिंह, लालन मोतीलाला॥८॥
हरीदास हरिनाथकवि,मानराय रघुनाथ । मिश्रगणेश कबीर अरू लीलाधर कविनाथ ॥९॥
दामोदर दिलदार कवि,दौलत नागर दास।नंदन हितहरिवंस कवि सैन नारायणदास ॥१०॥
नीलकंठ नँदलाल कवि,नंददाँस रसखीना।नाभा नरवहिन नरसि, नारायणभट तीन॥११॥
निपटनिरंजन इंद्रजित पृथ्वीराज को जान । लक्ष्मीनारायण हरी,बलीभेंद्र को मान ॥१२॥
३ । ४-अगरदास और अगर कवि। ९१- धीर नरिन्द्रभी इनका नामहै।