पृष्ठ:सूरसागर.djvu/२३

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1. श्रीसूरदासजीका जीवनचरित्र। मथुराः भवन भवन भगवाना। जो नृत गीत ललित पुनि गाना ॥३॥ कीन्हसि भक्ति प्रेम सरसाए। तेहि परिणाम अमर पुर पाए॥.. अरु उपकार देखि नृपः रानी। जोतहि हृदय दान रुचिमानी॥४॥ . ताहि प्रसाद भवन तुवः आई। भोगे विविध भोग सुखपाई॥ . . . . आज विदित देखत तुव पहा । मृत वश भई तुरत तजि देहा ॥६॥ .. . पै यादव वंशी: त्रिय जेहू । रही सो दैव रूप सब तेहू॥ कौतुक करन देव पुर त्यागी। आई धरणि कृष्ण अनुरागीः ॥ ६॥ . गवनी बहुरि अमरपुर काहीं । रही सो मनुज रूप कछु नाही . अस कहि सूरदास हरषाते। माँगि विदाय भक्तिः मदमाते॥७॥ तवा दिलीश सादर धन दीना। भक्त सृष्टः सुइकारण कीनाः॥ हमरे नहिन द्रव्य कछु कामा। तब दिलीश वर्णन अभिरामा॥an धरयो शीश नमृत कर जोरी । विनय वदन,कछु कीनन थोरी॥ चले सूर तब होत विदाए । हर्षत कृष्णः ललित पुर आएः॥९॥ अगणित विमलभक्तिं सरसावनः । विरचत कृष्ण चरितः पदपावनः।। रहे करत गायनः संसाराः । सकल लोक हित हृदय विचारा॥१०॥ पदन प्रबंध सूर जन नागर । बाँध्यो जनहुः सेतु भवसागर ॥ बिनु प्रयास. कलिकाल मझारा तिहि प्रसाद उतरत सवः पाराः ॥ ११॥ दो०-सूर सूर सम विदितजग,सकलकविन शिरमौर सूरक्ष्याम जेहि भक्ति वश; भए भक्त चितचोर। जोलों विचरेधराण तल,पल नाविसारे श्यामाभए अंत अलचरणकल कंजकृष्ण अभिराम२॥ बाबू रघुनाथ सिंह तअल्लुकेदार भदवर ने मुझे१६दोहे दियेथे उन दोहों में सूरदास के समय- के कवियोंके नाम हैं पर कई.एकमें मुझे सन्देह है जो होवे दोहे नीचे प्रकाश किये जाते हैं। दो-सूरदासके समयमें, जोकवि भये महान । उन सबसे बढ़िके सर्वे, इन्हें करतः सन्मान ॥॥ ओलिराम अकबर अगैरदासकवी करनेश। चतुरविहारी गोपकवि,घनआनंद अमरेश॥२॥ आशङ्करन अर्जवेस अरु, कादर केशवदास । टोडैर गोविंद जैतवि, चरण चतुर्भुजदास ॥३॥ जीवन केशव ताजैकवि, होलेराय कवि खेमें। योधा जोयेसी चैदेसखि, कृष्णदाँस कवि क्षेमैंट अमृत खानखाना जगन, ऊधोरीम कमाल। जमालुद्दीन, जगनन्दकवि, गोविंददास जमाँलार जमालुद्दीन कल्याण कवि, फैजी ब्रह्मे फंहीमः। अभयराम परसिदकवि, विट्ठलविपुल रहीम अमरसिंह घनईयामहूं, दौल्हे नरोत्तमदासः । चेतनचंद कविन्दै भैट, वौरक विद्यादास ॥७॥ ठितस्वामी भगवतरसिक, छैच विहारीलाला मिश्रगदाधर मानसिंह, लालन मोतीलाला॥८॥ हरीर्दीस हरिनाथकवि,मानस्य रघुनाथ । मिश्रृंगणेश कबीर असालीलाधर कविनाथ ॥९॥ दामादैरे दिलदार कवि,दौलत नागर दासीनंदन हितहरिवंस कवि सैन नारायणदास ॥१०॥ . नीलकंठ नँदलाल कविनंददाँस रसखीनानाभा नरवहिननरसि, नारायणभट तीनः॥११॥ निपटनिरंजन इंद्रजित पृथ्वीराज को जान । लक्ष्मीनारायण हैरी,बलीभेंद्र को मान :॥१२॥ ३।५-अगरदास और अगर कवि। . ९१-धीर नरिन्द्रभी इनका नामहै। . %