पृष्ठ:सूरसागर.djvu/३८

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. . . .. श्रीसूरदासजीका जीवनचरित्र। गोविंददासजी ब्रजवासी सं० १६१५ राग सागरोद्भवमें इनकी कविताहै ए कवि नाभाजीके शिष्यथे गोविंदकवि सं० १७९८ ए कवीश्वर बड़े नामी कवि हो गए हैं इनका बनायाहुवा करुणा- भरण ग्रंथ बहुत कठिन और साहित्य में शिरोमणि है। केशवदास सनाढ्य मिश्रबुंदेलखंडी सं० १६२४ इनका प्राचीन निवास टिहरीथाराजा मधुकर शाह उड़छावाले के इहां आये औ वहां उनका बड़ा सन्मान हुवा राजा इंद्रजीतसिंह ने २१ गांव संकल्प दिये तब कुटुंव सहित उड़छे में रहने लगे भाषा काव्यके तौ भाम मम्मट भरता के समान प्रथम आचार्य समुझना चाहिये काहेते कि काव्यके दशौ अंग पहिले पहिले इन्होंने कविप्रिया ग्रन्थमें वर्णन किये तेहि पीछे अनेक आचाय्याने नानाग्रन्थ भाषामें रचे प्रथम मधुकर शाहके नाम विज्ञानगीता ग्रंथ बनाया औ कविप्रिया ग्रन्थ प्रवीनराइ पातुरीके लिये रचा औ.रामचंद्रिका राजा मधुकरशाहके पुत्र इन्द्र- जीतके नामसे बनाया और रसिकप्रिया साहित्य औ रामअलंकृतमंजरी पिंगल ए दोनों ग्रन्थ विद्वजनोंके उपकारार्थ रचे जब अकबर बादशाहने प्रवीनराइ पातुरीके हाज़िर न होने औ उदूल हुकुमी औ लड़ाईके कारण राजा इन्द्रजीत पर एक करोड़ रुपया जुर्माना किए तब केशवदासजीने छिपकर राजा वीरवर मंत्रीसे मुलाकात किया औ वीरवरजूकी प्रशंसामें (दियो करतार दुहूं करतारी ) यह कवित्त पढ़ा तब राजा वीरखरने महाप्रसन्न है जुर्माना माफ कराया परन्तु प्रवीणराइको दरवारमें आनेपड़ा। केशवदास २ सामान्य कविताहै। केशवराइ बाबू बघेलखंडी सं० १७३९ इन्होंने नायकाभेदमें एक ग्रंथ बहुत सुंदर बनायाहै औ इनके कवित्त बलदेवकविने अपने संग्रहीत ग्रंथ सतकवि गिराविलासमें लिखेहैं। केशवरामकवि इन्होंने भ्रमरगीत नाम ग्रंथ रचाहै। ‘वाबू रघुनाथ सिंहके दोहेके अनुसार कवियोंकासमय शिवसिंह सरोजसे निरूपण किया जाताहै। (१) ओली रामकवि सं० १६२१ कालिदासजीने इनकी काव्य अपने हज़ारेमें लिखाहै। (२.) अकबरका हाल पहले लिखा गयाहै। . (३) अगर कवि सं० १६२६ नीति संबंधी कुंडलिया छप्पय दोहा इत्यादि बहुत बनाएहैं। (8) अगर दास गलता जयपुर राज्यके निवासी सं० १९९५ इनके बहुत पद रागसागरोद्भव रागकल्पद्रुममें हैं ए महाराजे कृष्णदास पय अहारीके शिष्यथे औ इन महाराजके नाभादास भक्तमाल ग्रंथकर्ता शिष्यथे। • (६) करनेशकवि बंदीजन असनीवाले सं० १६११ ये कवि नरहरि कविके साथ दिल्लीमें अकवरशाहकी सभाग जाते.आते थे इन्होंने कर्णाभरण १ श्रुतिभूषण २ भूपभूषण ३ ये तीनि ग्रंथ बनाये हैं। (६) चतुरबिहारीकवि ब्रजवासी संवत् १६०५ इनके पद राग सागरोद्भवमें बहुतहैं। (७) गोपकवि सं० १९९० रामभूपण १ अलंकारचन्द्रिका २ ए दो ग्रंथ बनाएहैं। (९) अमरेशकवि सं० १६३५ इनकी कविता महाउत्तमहै कालीदासजीने अपने हजारामें इनकी कविता बहुतसी लिखीहै। ।