पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

"इसी लिए लार्ड लेक यह दरबार कर रहे हैं, कि हर खास-प्राम के सामने वे वादे दुहराए दिए जायें ।" "लेकिन दरबारी अदब ।” “हुजूर, हर मुल्क के अलग-अलग अदब-कायदे होते हैं। हम फ़िरंगी जिस तरह अपने मुल्क में अपने बादशाह से मुलाक़ात करते हैं, इतमीनान रखिए कि उसी तरह हुजूर से मुलाक़ात करेंगे।" "ौर, तो मैं यह सब आप पर छोड़ता हूँ, बस मुझे धोखा न हो।" "हुजूर इतमीनान करें । अंग्रेज़ अपने वादों की पाबन्दी करेंगे। "लेकिन इतना कीजिए कि दरबार की कार्यवाही जल्द से जल्द खत्म हो जाय । क्योंकि मेरी सेहत ज़्यादा तकलीफ़ बर्दाश्त करने लायक़ नहीं है।" "ऐसा ही होगा हुजूर ।"

२२:

शाही दरबार दीवाने-खास में शाही दरबार की तैयारी हो रही थी। तख्ते-शाही के सामने सात जड़ाऊ सुनहरी कुर्सियाँ बिछाई गई थीं, जिन पर लार्ड लेक और दूसरे अंग्रेज़ अफ़सर बैठने वाले थे। लार्ड लेक और लोनी कुछ अफ़सरों के साथ फ़ौजी वर्दी में लैस दरबार हाल में हाजिर थे, इतने ही में 'अदब कायदा-निगह रूबरू' की पुकार हुई, और बादशाह सलामत की सवारी हवादान पर सवार हो कर-दीवाने-खास में आई । सभी दरबारी सिर झुकाए खड़े थे, सिर्फ़ अंग्रेज़ अफ़सर तने हुए अपनी-अपनी तलवारों की मूंठ पर हाथ रखे-चुस्त खड़े थे । बादशाह ने तख्त पर बैठ कर धीमी आवाज़ में कहा-"हम शाही दरबार में, कम्पनी बहादुर के गवर्नर-जनरल के एलची लार्ड लेक का इस्तकबाल करते हैं।" "मैं गवर्नर-जनरल महोदय की ओर से, और अपनी ओर से भी बादशाह सलामत को धन्यवाद देता हूँ और उनकी सलामती चाहता हूँ। प्राक्टर- १४२