पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१४५

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एलफिस्टन की गिरफ्त रणजीतसिंह का मुंह पच्छिम की ओर फेर कर, और सतलुज के इस पार के सब इलाकों पर अपना अधिकार कर अब अंग्रेजों ने बड़ा दाव लगाया। रणजीतसिंह को उकसा कर उसे अफग़ानिस्तान पर हमला करने को अकेला छोड़ दिया। शीघ्र ही सिक्खों और पठानों में वैरभाव बढ़ने लगा। अब ब्रिटिश भारत और उसके भावी आक्रमणों के बीच पंजाब एक दीवार हो गया था। इधर अंग्रेज़ी राज्य के विस्तार के लिए सतलुज का मैदान साफ हो गया था। इस समय मालकम और महदी अली खाँ अंग्रेजों के एजेन्ट ईरान में बैठे हुए वहाँ के बादशाह बाबा खाँ को अफगानिस्तान के विरुद्ध भड़का रहे थे, और इधर सर मैटकाफ पंजाब में महाराजा रणजीतसिंह के दरबार में एजेन्ट की हैसियत से बैठे हुए रणजीतसिंह को अफग़ानिस्तान पर हमला करने को उकसा रहे थे। अब नई चाल अंग्रेजों ने यह खेली कि लार्ड एलफिस्टन को अंग्रेज़ सरकार का विशेष दूत बना कर अफग़ा- निस्तान भेज दिया । जिसका उद्देश्य यह था कि वह अफगानिस्तान में वहाँ के बादशाह शाहशुजा को ईरान के खिलाफ लड़ाई करने के लिए उकसाए, और उसे यह विश्वास दिलाए कि रूस और फ्रांस मिल कर हिन्दुस्तान पर हमला करने वाले हैं, और उस आपत्ति का मुकाबिला करने के लिए अंग्रेज़ों और अफगानिस्तान की सरकारों में मित्रता रखनी ज़रूरी है । अंग्रेज़ नहीं चाहते थे कि अंग्रेजों की यह चाल रणजीतसिंह को मालूम हो जाय और वह चौकन्ना हो जाय । इसलिए एलफिंस्टन चालाकी से रणजीतसिंह के इलाके से नीचे ही नीचे उससे बचते हुए हुए बीकानेर, बहावलपुर और मुलतान के रास्ते पेशावर में जा पहुंचा । परन्तु इस समय वेचारा शाहशुजा अनेक मुसीबतों में घिरा हुआ था। उस समय अफग़ानिस्तान में आपस की लड़ाइयां और बग़ावतें जारी थीं। १४६