पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१९१

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घोड़े को ऐंड़ लगाई और पानीदार जानवर हवा में उछल कर सरपट दौड़ चला। इस समय सूर्य की तेजी कम होती जा रही थी। धूप पीली पड़ गई थी। उसने तय किया था कि वह झूठ बोलेगा और अपने पिता को पेशवा का यह संदेश देगा कि वह तुरन्त अंग्रेज़ों पर आक्रमण कर दे, कि अंग्रेजों को रात के अन्धेरे में भागने की राह न मिले । उसके तरुण हृदय ने सोचा कि इस छोटे से झूठ को बोल कर वह पेशवा और मराठों की प्रतिष्ठा को सदा के लिए बचा लेगा । वह स्वयं या तो आज इस युद्ध में जूझ मरेगा या युद्ध जय करके मराठा-मण्डल की स्थापना में सुनाम कमाएगा। वह और भी उत्साह से हवा में नंगी तलबार घुमाता हुआ तेजी से मराठा सेना के हैडक्वार्टर की ओर दौड़ा जा रहा था । उस समय पच्चीस सहस्र मराठे खिड़की समरांगण में सन्नद्ध खड़े थे । अनेक टुकड़ियों अग्रसर होती जा रही थी। और गनेश खण्ड तथा मूला नदी के बीच का सारा मैदान सैनिकों से भरा हुआ था। मराठों की यह सेना ज्वारकाल में समुद्री तूफान की भाँति गर्जन-तर्जन करती चली जा रही थी। घोड़ों की हिन-हिनाहट, तोपों के खींचने वाली गाड़ी के पहियों की घड़घड़ाहट, सैनिकों का शोर और उत्साहवर्धक नारों के अनमेल शब्द वायुमण्डल में भर थे । कर्नलवर सातवीं देशी रेजीमेन्ट को लेकर आगे बढ़ा। उसके साथ गोरी बाम्बे रेजीमेन्ट भी थी। गोरी बाम्बे रेजीमेन्ट के सवारों ने आगे बढ़ कर गनेशखण्ड फ्रन्ट के मोर्चे पर अपनी स्थिति ठीक की। इस सेना के दाहिने पार्श्व में मेजर फोर्ड अपनी बटेलियन के साथ, और वाम पार्श्व में सर एलफिस्टन अपनी रिजर्व सैना के साथ होल्कर- पुल के ठीक सम्मुख मोर्चा जमा कर खड़े हुए।