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पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२०८

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"और हिन्दुस्तान भर में बंगाल इस मामले में सबसे आगे है।" "तौबा, तौबा । देखता हूँ कि सही सलामत अपनी तन्दरुस्ती और ज़िन्दगी को लेकर इंग्लिस्तान लौट भी सकूँगा कि नहीं।" "इसमें क्या दिक्कत है, फिर हम लोग तो भारत में धन कमाने के लिए आए हैं। कुछ न कुछ खतरा तो उठाना ही पड़ेगा । मैं समझता हूँ कि यहाँ जो अति उच्चपद और मान आपको अनायास ही प्राप्त हो गया, इंगलैण्ड में शायद ज़िन्दगी-भर में प्राप्त न होता।" "आपकी इस बात को मैं कुबूल करता हूँ। मैं आप से यह छिपाना नहीं चाहता कि अपनी कलम से इंग्लिस्तान में मैं केवल दो सौ पौंड सालाना कमा सकता था । वह भी बहुत रो-पीट कर और बहुत मेहनत के बाद ।" "लेकिन लार्ड महोदय, यहाँ तो मज़ा ही मज़ा है । तनख्वाह दस हजार पौंड सालाना कुछ छोटी रक़म नहीं है। इसके अलावा अत्यन्त मान और आमदनी का ठीया है। यहाँ कलकत्ते से जो लोग अच्छी तरह परिचित हैं, वे जानते हैं कि ऊँचे से ऊँचे लोगों की श्रेणी में रहने के लिए आप पाँच हजार पौंड सालाना खर्च करके बड़ी शान से रह सकते हैं। और अपनी बाकी तनख्वाह मय सूद के बचा सकते हैं। फिर इसके अलावा आपको गवर्नर-जनरल बहादुर ने लॉ कमिश्नर भी तो बना दिया है, जिसके लिए पाँच हजार पौंड सालाना मुफ़्त ही में आपकी जेब में पड़ जाएंगे और इसके लिए वास्तव में आपको एक मक्खी भी न मारनी पड़ेगी।" लार्ड मैकाले ज़ोर से ही-ही करके हँस पड़े और बोले-'सर मैटकाफ, आप ठीक कहते हैं कि यह लॉ कमिश्नर का पद ऐसा है कि जिसके लिए एक आदमी को इतनी बड़ी तनख्वाह देना मुनासिब नहीं था। क्योंकि मैं भी यह देखता हूँ कि कोई कार्य तो इस पद का है ही नहीं।" "तो इससे आपको क्या ? रुपए आपको काटते थोड़े हैं ? निखर्चे २१२