पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

निधन घराने का व्यक्ति था, जो अपनी योग्यता से लार्ड के पद तक पहुँचा था। यद्यपि अभी उसकी आयु केवल ३२ ही वर्ष की थी, परन्तु वह मुस्तैद, विचारशील, उत्साही और बुद्धिमान् पुरुष था । उसके बोलने का ढंग बहुत आकर्षक और प्रभावशाली था और इंग्लैंड में वह इसी उमर में अच्छा लेखक प्रसिद्ध हो गया था। चार्ल्स मैटकाफ ने कहा--"कहिए, यहाँ का जलवायु आपको कैसा लगा ? यहाँ के आदमी और रस्मोरिवाज़ आपको पसंद आए कि नहीं ?" "अभी तो मैं नया ही हिन्दुस्तान में आया हूँ। न तो मैं यहाँ के लोगों की बोली समझता हूँ, न भाषा जानता हूँ, और न भारतवासियों के रीति-रिवाजों से परिचित हूँ। फिर भी इतना तो कह सकता हूँ कि यहाँ की धूलि-धूसरित संध्याएँ एकदम बेहूदा हैं । और यहाँ के निवासियों की धार्मिक और सामाजिक मान्यताएँ, उनके रहन-सहन अत्यन्त घृणास्पद और गंदे हैं । परन्तु सबसे अधिक तो मैं यहाँ की गर्मी से परेशान हूँ।" सर चार्ल्स मैटकाफ ने हँसकर कहा--"लेकिन यहाँ की गर्मी अभी आपने देखी कहाँ है ? आप तो उस वक्त आए हैं, जबकि गर्मियाँ बीत चुकीं, मौसम बदल गया और यह तो बंगाल का सबसे बढ़िया मौसम है। हाँ, आगे आपको मक्खी और मच्छरों का आनन्द ज़रूर प्राप्त होगा।" "हाँ, मैंने सुना है कि हिन्दुस्तान मलेरिया का दुनिया भर में सबसे बड़ा घर है।" २११