पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२१७

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हिज़मैजस्टी नसीरुद्दीन हैदर के महल में बहुत-सी बेगमात और ग्यारह सौ प्रासामियाँ, जल्सेवालियाँ और डोलेवालियाँ थीं । प्रधान बेगम दिल्ली के बादशाह अहमदशाह की पुत्री थी। इसका विवाह नसीर से बहुत पहले हुअा था। और हिजमैजस्टी होने के पहले से ही उसका इस बेगम के पास आना-जाना लगभग बंद हो गया था। रंगमहल में वह बादशाह-बेगम के नाम से प्रसिद्ध थी । उसका रुझाव दबदबा बहुत था, तथा वह पृथक् महल में रहती थी। उसकी सेवा में सैकड़ों दास-दासियाँ लौंडी-वाँदियाँ रहती थीं। महल की कोई बेगम या कोई स्त्री चाहे वह बादशाह की कितनी ही चहेती हो, बादशाह-बेगम के साथ नहीं बैठ सकती थी। सामने आने पर प्रत्येक स्त्री को बादशाह-बेगम के प्रति सम्मान प्रकट करना पड़ता था। नसीरुद्दीन औरतों का खास तौर पर शौकीन था। उसके महल में अनेक नीच जाति की स्त्रियाँ भी थीं। जिन्हें उसने उपपत्नी या रखेल बना कर रखा हुआ था। एक वेगम अत्तारमहल थी, जिसकी इस समय तूती बोलती थी। दूसरी ताजमहल और तीसरी नूरमहल, जो बहुत दिन तक रखेलिन की भाँति रही थीं, और अब नवाब ने निकाह पढ़ा कर उन्हें बेगम बना दिया था। किसी मुसलमान अमीर-गरीब की सुन्दरी कन्या पर बादशाह की नज़र पड़ते ही वह उसे अपनी रखेलिन बना लेने को तैयार हो जाता था। बहुत से अमीर मुसलमान इस ताक में रहते थे कि उनकी लड़कियों पर वादशाह की नजर पड़े और बादशाह उसे रखेलिन बना कर रख ले। ऐसे अनुरोध बादशाह तुरन्त मान लेते थे, परन्तु उनमें से बहुतों को बादशाह के सामने जाने का भी अवसर नहीं मिलता था। किन्तु हाँ, यदि ऐसी कोई स्त्री गर्भवती हो जाती थी तो उसे अलग रखा जाता था और उसे मासिक वृत्ति दी जाती थी। ये स्त्रियाँ एक बारक जैसे मकान में एक-एक कोठरी में रहती थीं। उनमें से बहुतों को बादशाह पहचानते भी न थे। नसीरुद्दीन हैदर की माता. रंगमहल में जनाबे-आलिया बेगम के . २२१