पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ठीक तौर से रियासत का इन्तज़ाम देखेंगे । और मुल्क की बदअमनी दूर करेंगे, तो मैं उन्हें दो साल का समय दे सकता हूँ। दो साल के अन्दर रियाया की हालत सुधार लें। वरना अवश्य ही अवध का राज्य ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जायगा।" इतना कह कर गवर्नर-जनरल एकदम उठ खड़े हुए । बादशाह ने उन्हें कांपते हाथों रत्न-जटित सुनहरी हार पहनाया जिसका मूल्य एक लाख रुपए था। गवर्नर-जनरल ने बादशाह से हाथ मिलाया और चल दिए । दरबार बर्खास्त हो गया । कुत्ते की मौत और कुत्ते की जिन्दगी लार्ड बैंटिंक के लखनऊ से जाने के बाद बादशाह नसीरुद्दीन अर्द्ध विक्षिप्त की भाँति रहने लगा । बड़े-बड़े प्रतिष्ठित अधिकारियों को उसने पदच्युत करना और उन्हें जेल भेजना प्रारम्भ कर दिया। हज्जाम के साथ बादशाह खाना खाते हैं, यह कारण बता कर जब गवर्नर-जनरल ने बादशाह के साथ खाना अस्वीकार कर दिया-तब बादशाह के अन्य अंग्रेज मुसाहिबों ने भी हज्जाम के साथ खाने से इन्कार कर दिया। इस पर बादशाह ने खीझ कर सब को मौकूफ कर दिया । अब उसकी नजर हज्जाम से भी फिर गई। वह बात-बात पर उसे डांटने- फटकारने और अपमान करने लगा। अब हज्जाम भी समझ गया कि उसकी उतरती जोत है । वह बड़ा चालाक था, उसने अपना सारा संचित धन, सत्तर-अस्सी लाख, एकत्र किया और उसे लेकर कलकत्ते भाग गया। और वहाँ से वह जहाज में सवार हो कर विलायत चला। वहाँ कुछ दिन ठाट-बाट से रहा। उसने चाहा कि रुपया खर्च करके वह बैरन बन जाय, वह बड़े-बड़े आदमियों को भारी-भारी भोज देता रहा । लंदन में उसका नाम 'इण्डियन-नवाब' के नाम से मशहूर हो गया। परन्तु २७६