उस ने दूध का गिलास चौकी पर रख कर दोनों हाथ जोड़ कर बड़े मियाँ को प्रणाम किया। चौधरी ने कहा-'चाचा जान भी हैं, बेटी, उन्हें भी नमस्कार करो।" मंगला ने छोटे मियाँ को भी उसी तरह हाथ जोड़ कर नमस्कार किया । चौधरी ने कहा--"दो गिलास दूध और ले आ बेटी । दादा और चाचा के लिए।" मंगला तेज़ी से चली गई। दोनों हाथों में दो गिलास दूध भर कर ले आई, उस के साथ ही एक खिदमतगार बड़े से थाल में गुड़ के गिदौड़े भर कर मियाँ के सामने रख गया। छोटे और बड़े मियाँ ने एक-एक गिदौड़ा उठाया और दूध का गिलास हाथों में लिया। बड़े मियाँ ने फिर हंस कर कहा-"बिटिया, ज़रा देखो तो तुम्हारे लिए तुम्हारे चाचा दिल्ली से कैसे-कैसे खिलौने लाए हैं।" उन्होंने बड़ी फुर्ती से खिलौनों का टोकरा खोला । मंगला ने उत्सुकता से एक बार खिलौनों के टोकरे की ओर और दूसरी बार छोटे मियाँ की ओर देखा । फिर उसके चेहरे पर मुस्कान फूट पड़ी । उस ने बड़े मियाँ से कहा-"पाप ने तो मेरे लिए विलायती कुत्ता लाने का वायदा किया था । बड़े मियाँ हँस दिए, “किया तो था बेटी, अब इस बार जब अहमद दिल्ली से लौटेगा, तेरे लिए विलायती कुत्ता जरूर लायगा।" "अन्ना के पास कुत्ता है दादा जी, वह अंग्रेज़ी समझता है, मुल बोलता है कुत्ते की बोली।" चौधरी और बड़े मियाँ दोनों हँस पड़े। बड़े मियाँ ने कहा-"बेशक, बेशक, बिटिया, थोड़े दिनों में ये कुत्ते अंग्रेजी बोलने भी लगेंगे।" "दादा जी, मैं अन्ना के साथ अंग्रेजी बोलती हूँ। क्या आप अंग्रेजी समझ सकते हैं ?" "नहीं बिटिया, मैं बूढ़ा आदमी भला अंग्रेज़ी क्या जानूं ।” "दद्दा भी अंग्रेज़ी नहीं बोल सकते ।" "कैसे बोल सकते हैं बेटी, वे भी तो मेरी तरह बूढ़े आदमी हैं।"
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/३४
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