"अन्ना कहती हैं, जो अंग्रेज़ी नहीं जानता वह गँवार आदमी है । साहब लोग उसे पसन्द नहीं करते।" "अन्ना ठीक कहती हैं बेटी, इसी से मैं और तेरे दद्दा दोनों ही साहब लोगों से दूर ही दूर रहते हैं।" “साहब लोग तो बहुत अच्छे होते हैं दादा जी ।" "बेशक, लेकिन हम बूढ़े आदमियों से साहब लोगों का मिलान नहीं खाता।" "आप भी अंग्रेज़ी पढ़िए दादा जी, अन्ना आप को पढ़ा देंगी।" "अच्छी बात है बिटिया, मैं और तुम्हारे दद्दा दोनों तुम्हारी अन्ना से पढ़ा करेंगे।" "आप ने मेरी किताबें देखी हैं दादा जी ?" "नहीं देखीं बेटी।" "मैं अभी दिखाती हूँ।" वह तेजी से चली गई। चौधरी ने आँखों की कोर में आये आँसू पी कर कहा--"बस दिन भर ऐसी ही बातें करती है। भले-बुरे का कुछ ज्ञान नहीं है, न जाने कैसे घर जाना पड़ेगा। इसी सोच में घुला जाता हूँ।" "सोच न करो चौधरी, बड़ी समझदार बिटिया है । खुदा ने चाहा तो दोनों खानदानों को रोशन करेगी।" मंगला अपनी किताबें ले आई। वह बड़ी देर तक बड़े मियाँ को उस की तस्वीरें दिखाती रही । अन्त में बड़े मियाँ ने कहा-"अहमद इस बार दिल्ली से आयगा-तब तेरे लिए अंग्रेजी की बहुत-सी किताबें भी लायगा।" मंगला इस बात से प्रसन्न हो गई। उस ने हँसती हुई आँखों से अहमद मियाँ की ओर देखा-और वह अपनी किताबें समेट कर चल दी। बड़े मियाँ ने कहा-"खुदा उस की उम्र दराज़ करे । चौधरी, का लड़का ढूंढना । अंग्रेजी पढ़ा-लिखा, हमारी साहबज़ादी को बिना ठाठ 25
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