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पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/५७

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था। भूमि का कर बेहद बढ़ा दिया गया था। नए अंग्रेज़ी बन्दोबस्त के बाद किसान दो चार साल ही में तबाह हो गए थे। अंग्रेज़ी इलाके में अंग्रेज़ खुले आम गोवध करते थे । हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ मथुरा में खुले आम गोवध होता था। तभी तो वहाँ की प्रजा भरतपुर के जाट राजा को अपना नेता और रक्षक समझती थी। इन्हीं कारणों से भरतपुर दर्बार की सहानुभूति होल्कर के साथ थी। इस समय मथुरा से अंग्रेजी सेना को खदेड़ कर होल्कर सहारनपुर में छावना डाले पड़ा था । वह सहारनपुर के सरदार दोलचासिंह, नवाब बब्बूखाँ और बेगम समरू से सहायता की प्राशा में खटपट कर रहा था। उधर होल्कर के इलाक़ों पर अंग्रेज़ों के आक्रमण हो रहे थे। जिनकी सूचनाओं ने उसे बेचैन कर रखा था। वह अब भी यह आशा रखता था कि किसी तरह दिल्ली पर कब्ज़ा हो जाय और बादशाह उसके पक्ष में हो जाए। चौधरी प्राणनाथ काफ़ले के सरदार का नाम चौधरी प्राणनाथ था। पंजाब में भेलम के किनारे पण्डरावल में उनकी रियासत थी। दूसरे मराठा युद्ध से प्रथम तक एक प्रकार से समूचा पंजाब ही सिंधिया के अधीन था । महाराजा रणजीतसिंह भी सिंधिया के मातहत था। और वर्ष में चार लाख रुपये सिंधिया को मालगुजारी देता था। अंग्रेजों ने इस युद्ध में रणजीतसिंह को यह कह कर अपनी ओर फोड़ लिया था कि यदि तुम सिंधिया के विरुद्ध हमारी सहायता करोगे तो तुम्हारी मालगुज़ारी माफ़ कर दी जायगी। इस के अतिरिक्त कुछ और नए इलाके भी तुम्हें दे दिए जाएँगे। अभी सिक्खों की रियासत का नया ही उदय हुअा था । महाराज रणजीतसिंह ने और उनके प्रभाव में रहने वाले दूसरे सिख सरदारों ने दूसरे मराठा