पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- "कप्तान विकर्स" " और तुम्हारा ?" उसने दूसरे से प्रश्न किया । "कप्तान टाड" "और तुम ?" उसने तीसरे से प्रश्न किया। "श्रीमन्त, मैं कप्तान रायन हूँ।" "तुम तीनों हमारी सरकार की सेवा में एक-एक कम्पनी के अफसर थे ?" "जी हाँ श्रीमन्त", तीनों ने जवाब दिया। 'और अब, जब युद्ध शुरू हुअा, तुमने जनरल लेक से पत्र-व्यवहार किया, उन्हें अपनी सेना के भेद बताए ?" "हम श्रीमन्त के इस प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ हैं।" "जब तक तुमने सेना में नौकरी की, तब तक तुम्हें पूरी तनख्वाह मिलती रही ?" "तनख्वाह के मामले में हमें कोई शिकायत नहीं है।" "क्या तुम्हें हमारी सरकार से और भी कुछ शिकायत है ?" "नहीं श्रीमन्त ।" "तुम्हारी कुछ इच्छा है ? केवल यही, कि हमें अंग्रेजी सेना में भेज दिया जाय।" कुछ ?" "बस।" "तो", उसने सेनानायक भास्कर राव की ओर देखकर कहा, “सैनिक नियमों का उल्लंघन करने, विश्वासघात और जासूसी करने, शत्रु से गुप्त सम्बन्ध स्थापित करने के अपराध में तुरन्त इन तीनों अंग्रेजों को गोली से उड़ा दिया जाय । और इनकी इच्छानुसार इनकी लाशों को अंग्रेज़ जनरल लेक के पास भेज दिया जाय।" तत्काल बन्दूकें इन तीनों अभागों की ओर तन गईं। तीनों ने "बस, या और