पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/२९०

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कहा, “ सब-कुछ सुना दो, सब-कुछ सुना दो।" सेठ की पत्नी ने कहा, "हंगामा सुनकर हम सब भुंहरा में छिप गए थे। वे सब सेठियों को पकड़-पकड़ ले गए। फिर घर में घुसकर लूट मचाने लगे। इसी समय देवचन्द्र आ गया। उसे वे सब मारने दौड़े-कंचन से न रहा गया। मेरे रोकने पर भी वह भोहरे से बाहर आ देवचन्द्र को भीतर खींचने लगी। पर उनकी दृष्टि उसपर पड़ गई। उन्होंने उसे घसीटकर घोड़े से बाँध लिया, उसे बचाने में देवचन्द्र घायल होकर गिर गया। पता नहीं जीवित है या मृत। वे उन दोनों को ले गए दोनों को!" सेठ ने एक ठण्डी साँस ली। पत्नी को वह ढारस न दे सका। बहुत देर चुप बैठे रहकर उसने अपना कर्तव्य स्थिर किया। फिर अति कोमल भाव से पत्नी को उठाकर कहा, “अब चलो प्रिये, हम भी अपना धर्म पूरा करें।” और दोनों भीतर चले गए।