भीमदेव प्रथम, ईस्वी सन् 1026 कुमारपाल, 1196 महीपाल, 1325 अहिल्लयाबाई होल्कर, 1765 इस प्रकार एक के बाद दूसरा आक्रमणकारी आता गया जाता गया, और सोमनाथदेव अपना चोला बदलता गया। वे सब आक्रमणकारी आज नहीं रहे, परन्तु देवाधिदेव सोमनाथ आज भी उसी स्थान पर सुप्रतिष्ठित हैं। सम्पूर्ण विश्व में आज के दिन सुपूजित इतना प्राचीन देवता कोई दूसरा नहीं है। 17 मई, सोमवार, 1954 वैशाख पूर्णिमा, 2011 ज्ञानधाम-प्रतिष्ठान दिल्ली-शाहदरा -चतुरसेन सन्दर्भ 1. सौराष्ट्रे सोमनाथ च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारे परमेश्वरम्॥ केदारं हिमवत्पृष्ठे त्र्यम्बकं गोमतीतटे। वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने॥ सेतुबन्धे च रामेशं धुश्मेशं च शिवालये। द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्॥ सप्तजन्म कृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥ शिवपुराण॥ 2. टी. गोपीनाथ राव-एलीमेंट्स आफ हिन्दू इकोनोग्राफी, जिल्द 2, माग 1। 3. देखिए-आईमोनिय का 1901 का 'जनरल एशिया का रिव्यू' (न.1-3, पी. डबल्यू. एफ.) 4. देखिए-लाहौर म्यूज़ियम, मुद्रा सूची, प्लेट, 17, नं. 65। 5. देखिए-श्री एलन की गुप्त-सिक्कों की सूची की भूमिका, पृष्ठ 101। 6. रा. ब. महामहोपाध्याय गौरीशंकर हीराचन्द ओझा कृत मध्यकालीन, भारतीय संस्कृति', पहला आख्यान, पृष्ठ 21। Z. रा. ब. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा-कृत ‘मध्यकालीन भारतीय संस्कृति', प्र. व्याख्यान, पृष्ठ 22 8. लिंगपुराण,24-1311 9. रायबहादुर गौरीशंकर हीरानन्द ओझा-कृत ‘मध्यकालीन भारतीय संस्कृति' पृष्ठ 24 10. सर रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर-कृत-वैष्णविज़्म शैविज़्म एण्ड अदर माइनर
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