16. रिलीजन्स सिस्टम्स पृष्ठ 115-142 11. सर रामकृष्ण भाण्डारकर कृत-'वैष्णाविज़्म एंड अदर माइनर रिलिजस सिस्टम्स, पृष्ठ-142-146 12. सर रा.कृ. भण्डारकर-'वैष्णविज़्म शैविज़्म एंड अदर माइनर रिलीजन्स', पृष्ठ- 146-471 13. कपूरमंजरी-प्रथम यवनिकान्तर। 14. याज्ञवल्क्य-स्मृति। 15. म. म. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा-कृत ‘मध्यकालीन भारतीय संस्कृति', पृष्ठ 291 रामायण। 17. पातंजल महाभाष्य। 18. देखिए, बोम्बे गजेटियर की काठियावाड़ नाम की आठवीं पुस्तक और कैप्टन एच. बिलफोर्स बैल-कृत 'हिस्ट्री ऑफ काठियावाड़'। 19. Cousens—Somnatha another mediaval temples in Kathiawar- Archeological Survey of India, Volume XIV, Imperial Series Plates II-IX. 20. प्रबन्धचिन्तामणि। 21. अप्युग्रतीर व्रत वीरवीर संसेव्यमान कृमपाद युग्मम्। श्री मूलराजं समरे निहत्य यो गुर्जयं जर्गरतां सनैर्षति॥9॥ (हम्मीर महाकाव्य-नवचन्द्र सूरि-कृत। वि.सं. 1440 और 1550 के बीच रचित।) 22. कीर्तिकौमुदी, सर्ग 2, श्लोक 5 । 23. सुकत-संकीर्तन, सर्ग 2, श्लोक 5। 24. देखिए, याज्ञिक नीलकंठ के पौत्र और जगजीवन के पुत्र वेणीदत्त-रचित 'औदीच्य-प्रकाश'। 25. महाराजाधिराज श्री मूलराज: xxx मोढ़ेकीयाद्धष्टिर्मेषु कंबोइका ग्रामे समस्त राजपुरुषान् xxx बोधयत्यस्रुव: संविदितम्। यथा। श्रीमदणहिल पाटन स्थानावस्थितैरस्माभिः सूर्यग्रहण पर्वणि श्रीस्थल के प्राचीन सरस्वती वारिणा स्नात्वातुं (त्रि) दशपतिं रुद्र महास्वय देवमभ्यर्च्य xxx उपरिलिखित ग्रामीयं वर्द्धि विषये मंडल्यां स्थापित श्री मूलनाथ देवाय शासनेनीद्रक पूर्वमस्माभिः प्रदत्त:। (इंडियन एंटिक्वैरी; जि. 6, पृष्ठ-191-1927) 26. द्वयाश्रय काव्य, सर्ग 6, श्लोक 103-1071 27. कुमारपाल चरित, 1-13। 28. सूनुस्तस्य बभूव भूपतिलकश्चामुण्डराजाह्वयो
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