पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१३१

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२७ सौ अजान और एक सुजान - अगरैतिन-परिश्रम करनेवाली, घिष्टपिष्ट-हरा मेलजोल । मेहनतिन । केड़े-(सं० करीर) नया पौधा विक्षेप-खलल। या अंकुर, नवयुवक । ककशा-लड़ाकिन, कटु- गुलछरे-आनंद, भोग-विलास। भाषिणी। निर्गधोज्झित पुष्प-वह प्रेमालाप-प्रेम की बातचीत। फूल, जो सुगंध न रहने से सहिष्णुता-सहन करने की । फेक दिया गया हो। शक्ति । ठौर-(सं० स्थान) जगह । सौहार्द-प्रेम। कुलप्रसूत-उत्तम वंश में अठखेली-(सं० अष्टक्रीड़ा) पैदा हुआ। ,मस्तानी या मतवाली चाल। नटखट-धूर्त, कपटी। अकालजलदोदय-समय में वलीअहंद-स्थानापन्न, वारिस । मेघों का उदय होना ।' उद्घाटन-प्रकट करना, कदर्य-नीच, तुच्छ हृदय खोल देना।' सातवाँ प्रस्ताव ईशानकोण-पूर्व और उत्तर । तीर्थलियों-(सं० तीर्थस्थली) के बीच की दिशा। तीर्थ के पुजारी और पंडे। देवखात-किसी. मंदिर के । फूटीझंझी-फूटी कौड़ी, (यहाँ पास का कुंड। के दलालों की बोली)। हलका-घेरा। चिरबत्ती-चिथडा-चिथडा। बइयरबानी-कुलीन स्त्री। विटप-वृक्ष । अभिसंधि-षड्यंत्र, 'चुपचाप आतप-धाम । कई श्रादमियों के मिलकर जियारत-पूजा। एक कोई खास काम करने परिशिष्ट-बची हुई। की सलाह। लहलहे-विकसित, हरे-भरे।