पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१३०

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टिप्पणी-सहित कठिन-शब्दार्थ-सूची २६ तरल तरंगिणी-तुल्य-चंचल । बरहम-क्रोधित ।। नदी के समान । रन्तजप्त-मेलजोल ।' तारुण्यकुतर्की-जवानीरूपी तकरीब-(अं०-शब्द) उत्सव, दुष्ट बकवादी। जलसा। चोखा ( चोक्ष)--शुद्ध और शीशे पालात-(फा०-शब्द) उत्तम । शीशे के यंत्रसाट, फानूस अजहद-बहुत अधिक। आदि। तिउरी-निगाह, दृष्टि । -: छठा प्रस्ताव सन्नहटा-नीरव, शब्दाभाव । । शीतस्पर्शवत्याप.- कणाद तिग्मांशु-(तिग्म = तेज़। मुनि ने पांचों तरवों में से 'अशु-किरण) सूर्य । जल तत्व की परिभाषा में तीखी--(सं. तीक्ष्ण ) तेज़ । लिखा है कि जल वह तत्व है, खरतर-तेज। जो छूने मे शीतल हो। ब्रह्मांड-~जगत्, संसार । दंडायमान-लंबा। तचा-तप्त। . ललाटंतप-ललाट (खोपडी) लोहपिंड-लोहे का गोला। को तपानेवाला, अत्यंत गरम, अनुहार-समानता। .. चैलाफाढ़ धाम । स्थावर-अचल, स्थिर, जो चडांशु (चंड तेज, गरम । चले नहीं, जैसे पेड इत्यादि। अशु-किरण) सूर्य । जंगम-चलनेवाला, चरिष्णु, उच्चाटन-तंत्र के छै अभि. जैसे मनुष्य, पशु इत्यादि । चारी या प्रयोगो में-से, एक ; यावत-जितने।' नाश। स्वगिंद्रिय-स्पशेंद्रिय, जिस | रूपगर्विता-अपने सुंदरापे के इंद्रिय से स्पर्श का ज्ञान हो। । घमंड में भरी हुई।