पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१३४

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- - टिप्पणी-सहित कठिन-शब्दार्थ-सूची .१३३ से मिलने . जुलने का । विकसित - पंडरीक - नेत्र- कमरा। खिले हुए कमल-समान नेत्र । हुस्नपरस्त-सौंदर्योपासक। "यह अपने . कर रही क्यक्रम-उन्न। थी"--उपमा अलं० . .. संजीदगी-गांभीर्य । कोकिलकंठी-कोयल शऊर-सलीक़ा। समान शब्दवाली। अलकावली-छल्लेदार बाल । । मुश्ताक-इच्छुक। , बारहवाँ प्रस्ताव । नेचरिये-(अंग. Nature), 'बर्क-चतुर, चमकीला । नास्तिक, जो ईश्वर को न | बेलौस-पक्षपात-रहित । मानकर केवल प्रकृति या तर्रार-चालाक । नेचर ही को संसार का कर्ता- लियाकत में खाम-बुद्धि धर्ता मानते हैं। 'में कमी हाफकास्ट-(अँग०-शब्द) दामनगीर-संलग्न । ' केरानी, यूरेशियन, दोग़ले। | तहफे-नज़र, भेट, सौगात । कुम्मेद-(तुर्की कुमैत) वह गौ-(सं० गम्य) घात, दाँच, घोडा, जिसका रंग स्याही मतलब। लिए लाल हो। इस रंग का गुर्गा-(सं० गुरुग) गुरु का घोड़ा बहुत मज़बूत और तेज अनुगामी, जासूस, दूत । होता है। मरदूद-जड़-बुद्धि ; मूर्ख। आठो गाँठ कुम्मैद-अत्यंत उपासनाकांड-श्राराधना, चतुर, छटा हुअा, चालाक, पूजा। दारमदार-निर्भर। . सरिश्ते-विभाग। गुट्ट-(सं० गोष्टी) समूह; तदीही-सरती, सजा। मुद, दल। ।।