पृष्ठ:स्टालिन.djvu/१०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

है। श्रीमती मोलोटोव सुगन्धित पदायों के कारखानों की अध्यक्षा थी। सन् १९२६ में श्रीमती स्टालिन ने टकनिकल (कसा सम्बन्धी) शिक्षा प्राप्त करना प्रारम्भ किया और नकली रेशम बनाने की विधि सीखी। बनवा का विचार था कि अपना कोर्स समाप्त कर लेने पर डिक्टेटर की पत्नी को बनावटी रेशम के कारखानों का गाइरेक्टर बना दिया बावेगा। वह तीन वर्ष तक विधि-पूर्वक शिक्षण प्राप्त करती रही। इस अवधि में न तो प्रोफेसरों ने उसे कोई विशेष सुविधा दी और न ही श्रीमती स्टालिन ने किसी सुविधा की मांग की । वह प्रत्येक परिश्रम का काम अपने हाथ से करती और दूसरे विद्यार्थियों के समान सादा वस्त्र धारण करती थी। वह अन्य शिक्षाथियों के समान मशीनों पर काम करती और बैंच पर बैठ कर व्याख्यान सुनती थी। इसके बाद नवम्बर सन १९३२ को अचानक समा. चार मिला कि श्रीमती स्टालिन की मृत्यु हो गई। उस समय उसकी आयु केवल ३ वर्ष थी। प्रगट रूप में उसे कोई रोग न था। उसकी असामयिक मृत्यु पर प्रत्येक व्यक्ति को भारी दुःख हुआ। संसार में सर्वत्र आश्चर्य छा गया। श्रीमती स्टालिन को मृत्यु के सम्बन्ध में कई प्रकार की कल्पनाएं और अफवाहें प्रसिद्ध है। सम्भव है उसका यह कारण हो कि योरुप के अन्य देशों का रूस से अधिक घनिष्ट सम्बन्ध नहीं है और इसी तरह सोषियट जन-तंत्र से आई हुई प्रत्येक खबर सन्देह के साथ सुनी जाती है। एक समाचार यह भी था किं भीमती हालिन का जीवन वर्षों से कटु बन गया था और असन इससे परित्राण पाने के लिये निरुपाय होकर आत्म-हत्या करती। किन्तु घटनाएं और साक्षियाँ इस कथन का खंडन