पृष्ठ:स्टालिन.djvu/२२

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इक्कोस] [ *** थीं, जिन्हें पढ़ कर उसका दिल बड़े जोर से धड़कने लगा- "हम पूछना चाहते हैं कि अन्तमें किस समय तक और कब तक आप जार के खूनी पैंजे का अत्याचार सहन करते रहेंगे ? यदि एक दिन सारे किसान और मजदूर एक स्वर से कह दें कि बस अब अधिक अत्याचार सहन न किया जावेगा तो अत्याचारी जार का शासन एक क्षण में हो समाप्त हो सकता है।" उस विद्यार्थी ने जब उन पंक्तियों को पढ़ा तो उसके मस्तिष्क में विभिन्न विचारों की बाढ़ सी आगई। उसे अपनी आंखों पर विश्वास न होता था। वह चकित होकर सोचता था कि “यह भयंकर शब्द किसने छापने का साहस किया ?" उस पवित्र जार के विरुद्ध जो कि रूसियों का पिता और गिरओं का स्वामी है, जिसका चित्र प्रत्येक गिरजे में रखा रहता है एवं जिसके लिये तमाम गिरजों में आरोग्य-प्रार्थना की जाती है ऐसे कठोर शब्द किसने लिखे-- वह कौन दुष्ट व्यक्ति होगा जिसने इन अपवित्र विचारों को लेखबद्ध करने का साहस किया ?" इसके पश्चात् वह शीघ्रतापूर्वक कदम बढ़ाता हुआ पशकिन स्टीट पर अपनी पाठशाला की ओर गया। उसने निश्चय कर लिया कि पाठशाला के अध्यक्ष से मिलकर वह अपवित्र लेख उसको दिखाएगा । जिस समय वह पाठशाला में पहुंचा तो उसका श्वास फूला हुआ था । वह उसी दशा में अपने कमरे में प्रविष्ट हुआ। कमरे में तीन आदमी पहले सही बैठे हुये थे। उसमें से एक पाठशाला के प्रबन्धक और दो नवागन्तुक थे, जिनके विषय में पीछे पता लगा कि वह तफलस की खुफिया-पुलिस के कर्मचारी थे। कमरे में चारों ओर अस्तव्यस्तता का साम्राज्य था। पुलिस के कर्मचारियों ने प्रत्येक वस्तु ऊपर नीचे कर दी थी। उन्होंने अल्मारी की तलाशी