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पृष्ठ:स्टालिन.djvu/६९

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[भइसठ व्यक्तित्व साहस और वीरता-पूर्ण था । यह सभी कार्यों को इतने सुन्दर ढंग से करता कि किसी को लेशमात्र भी अविश्वास नहीं हो सकता था। वह दोनों प्रकार का अभिनय आश्चर्यपूर्ण योग्यता के साथ करता था।वह पार्लमेंट का सदस्य बनने के पश्चात् जब डूमा में अपनी वक्तृता की धूम मचा देवा तो इससे पहले उसका मसविदा खुफिया पुलिस के अध्यक्ष को दिखा लेता था इसके अतिरिक्त पुलिस के अध्यक्ष का यह वाक्य कि "मानी नोस्की को इस पार्टी का अध्यक्ष बनाया जावे" केवल किसी प्रायो. जना का अंश न था। वह वास्तव में शीघ्र ही इस पार्टीका नेता बन जाता। चूँकि उस का स्थान लेनिन से दूसरे नम्बर पर था, अत: वह निर्दिष्ट स्थान के बहुत ही निकट पहुँच चुका था। यहाँ यह प्रश्न पैदा होता है कि यदि एक आकस्मिक घटना ने मालीनोस्की की मिसन क्रांतिकारियों के हाथों तक न पहुँचा दी होती वोस्थिति क्या से क्या होजाती ? वास्तव में माली- नोस्की की भी भूल थी। यदि वह तनिक दूरदर्शिता से काम लेता वो अवश्य इस बात का प्रबन्ध कर लेता कि उसकी निजी मिसन खुफिया पुलिस के कागजों में सम्मिलित करके न रक्खी जाती। यदि ऐसा होता तो उसका नाम लेनिन के सेनापतियों में निरन्तर लिया जाता और रूसी क्रान्ति के इतिहास लेखक यह लिखने के स्थान पर कि इस क्रान्ति में तीन व्यक्तियों का मुख्य भाग था अर्थात् लेनिन, ट्रांटस्की और स्टालिन का-जिन्होंने जार के शासन को पलटकर उसके असीम राज्य को अपने प्राधीन किया-एक चौथा नाम मानीनोस्की का सम्मिनित करते और बह नाम इतिहासों में निरन्तर चलता रहता। इस बोटी सी भाकस्मिक घटना ने स्थिति को बिल्कुल ही बदल दिया। इतिहास-पुस्तकों में उल्लेखनीय स्थान प्राप्त