पृष्ठ:स्टालिन.djvu/८२

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he इक्यासी] पद्धतियों का समर्थक, सन्देहशील किन्तु अत्यन्त बलवान था। इन दोनों व्यक्तियों में रूसी क्रांति के प्रारम्भ में ही वैम- नस्य प्रारम्भ हो गया, जिसने शनः २ प्रवन विरोध का रूप धारण कर लिया। कांति के मदुत काल के लेखों को देख कर हँसी भी भाती है और हलाई भो। दोनों व्यक्ति एक भान्दोलन के समर्थक और प्राण होते हुए भी परस्पर एक दूसरे को अपने उच्च अधिकारी लेनिन की दृष्टि में गिराने एवं, एक दूसरे को हानि पहुँचाने के लिये सदा तत्पर रहते थे। किन्तु लेनिन के जीवन काल में यह परस्पर की फूट बीच ही में विलीन हो गई। लेनिन ने दोनों का मेन करा दिया। दबे हुये भावेश और उत्तेजना के होते हुए भी दोनों ने दांव भींच कर रस्मी हाथ मिला लिये। बोल्शेविक सरकार के राज्य में-सन् १९१० से.१९२३ में लेनिन की मृत्यु तक-स्टालिन और ट्रॉट्स्की दोनों ही राज्य के उच्चतम पदों पर काय करते थे। ट्रॉदरकी कांवि- कारी शासन का प्रथम परराष्ट्रमंत्री बना और उसी के द्वारा बेस्ट लिटोनवक नामक स्थान पर जर्मनी के साथ सन्धि की शवे तय की गई। उस समय स्टालिन माप-संख्यक जातियों का मंत्री था। रूस जैसे विशाल देश में लग भग ३० विभिन्न जातियों के लोग बसते हैं, इसलिये कियात्मक रूप में इसका महत्व भी जब कम न था। इसके बाद ट्रॉटस्को युद्ध मंत्री बना। इस समय स्टालिन पुख-समिति का सदस्य था और प्रतिदिन उसका वास्ता ट्रॉट्स्की से पड़ता था। परन्तु इन दोनों की गणमात्र के लिये भी नहीं बनती थी। स्टालिन जन कमी भवसर पावा, अपने राजनविक