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[नब्बे भेज रहा है। इन पंक्तियों को पढ़ने से कम से कम एक पात अवश्य प्रगट होती है अर्थात् अंतिम दंड पाने के बाद ट्रॉट्स्की प्रत्येक प्रकार के प्रयत्न छोड़ कर संतुष्ट सा हो गया था। इस कयन से यह प्रगट नहीं होता कि वह उस राजनैतिक पान्दोलन को नये सिरे से प्रारम्भ करना चाहता था, जो उसने निर्वासन से पूर्व भारम्भ कर रखा था। लेनिन ने अपने समय में मजदूरों की तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय स्थापित की थी । ट्रॉट्स्की ने चौथी स्थापित को । रूस के अन्दर जो उसके समर्थक मौजूद थे, ट्रॉट्स्की उनके साथ भी किसी न किसी प्रकार सम्बन्ध बनाए रखना चाहता था। अब स्टालिन और ट्रॉट्सगी के संघर्ष ने एक नया रूप धारण कर लिया। रूस की राजनीति में स्टालिन के अतिरिक्त कैरोम नामक एक और व्यक्ति का उल्लेख भी बहुत बार आता रहा है। इस व्यक्ति को स्टालिन का उत्तराधिकारी नियत किया गया था। अनुमान यह था कि स्टालिन की मृत्यु के पश्चात् कैरोफ उसके स्थान की पूति करेगा। किन्तु एक दिन अचानक सारे संसार में यह समाचार फैल गया कि कैरोफ को कत्ल कर दिया गया। यह आम तौर पर प्रसिद्ध था कि एक पीली मुखमुद्रा और लम्बे कद वाले निकोलाजै नामक युवक ने कैरोफ का वध कर दिया। यह व्यक्ति कैरोफ का घनिष्ट मित्र था और प्रायः उसके साथ रहता था। साधारण जनता में यह ख्याल फैला हुमा था कि यह कार्य ट्रॉट्स्की के समर्थकों का है। मास्को की सरकारी रिपोर्टों में ऐसा ही लिखा हुमा था। इस घटना को सामने रख कर स्टालिन ने यह कहना प्रारम्भ कर दिया-"ट्रॉट्स्की के सम- थकों ने अपनी नीति बदन दी है। अब वह जनवा में भावाज