नवासी] ( ** परन्तु पुलिस ने मेरा पीछा न छोड़ा। अन्त में जब मैं अमरीका में या तो मुझे सूचना मिली कि कस में क्रान्ति हो गई। मार्च १९१० में बब मैं रूस को लौट रहा था। मुझे अंग्रेजों ने गिरफ्तार करके कैनाडा में कैदियों के एक कैम्प में रक्ता। “मैंने १९०५ वथा १९१७ की क्रान्तियों में भाग लिया और दोन वसरों पर मुझे सेंट पीटर्सबर्ग की सोवियट का सभापति पद् प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। फिर मैंने अक्तूबर की क्रान्ति में भाग लिया, इस समय मुझे सेंट पीटर्स वर्ग के प्रथम मंत्रीमंडल में लिया गया। जब मैं विदेश मंत्री बना तो बेस्ट- लिटोवस्क की सन्धि की शतें मेरी ही देख रेख में निश्चित हुई। युद्ध मंत्री के रूप में मैंने पांच वर्ष की अवधि में पहले लाल सेना का निर्माण किया और बाद में लाल बेड़ा तयार किया। सन् १९२० में मैंने रेल्वे का सारा कुप्रबन्ध दूर करके उसे अच्छे में सन् १९२३ में सरकारी प्रकाशन-संस्था ने मेरी सभी कृतियों को १३ जिल्दों में प्रकाशित किया । इनमें वह पांच जिन्दं सम्मिलित न थीं जो मैने सैनिक सिद्धान्तों पर लिखी थीं। मेरी अन्य पुस्तकों का प्रकाशन रोक दिया गया और मेरे समर्थकों का विरोध प्रारम्भ हो गया। “सन् १९२८ में मुझको सेंट पीटर्सबर्ग की वर्तमान सरकार ने निर्वासित करके चीनी-सीमा के निकट भेज दिया। १९२६ की फर्वरी में मेरे नागरिक अधिकार छीन लिये गए। इस समय मैं निर्वासित रूप में कुत्तुस्तुनिया के निकट रहता हूँ और वहीं से यह पंक्तियों लिख रहा हूँ। मुझको अपने जीवन में तीसरी बार रूस छोड़ना पड़ा है। कितने खेद का विषय है कि जिसके निर्माण में मैंने सब से बढ़ कर भाग लिया। वही देश मुझे अपनी सीमा से बाहर चलाया।
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