प्रधान टोमस्कीको सन् १९५० में अवकाश प्रहण करना पड़ा। अब अगस्त १९३६ में उसकी गिरफ्तारी की माझा हुई तो उसने भात्महत्या करनी । १६३६ तक न्यूरो में से केवल स्टालिन और ट्रॉदरकी ही जीवित बचे। शेष सब असमय ही मारे गए। यही दशा कमीसारों की कौसिज के उन सदस्यों की हुई जो लेनिन की मृत्यु के समय उसके सदस्योगजीहानोफ नामक व्यक्ति पहले रसद विभाग का अध्यक्ष तथा बाद में माल अफसर था। इस समय वह साइवेरिया के एक दूरस्थ गांव में आश्रय लिये हुए है। ससरन एक समय रूस की वैदेशिक राजनीति में एक विशेष स्थान रखता था और पार्टी के सभी सदस्यों में असाधारण योग्य समझा जाता था। वह सन् १९३० में किसी झगड़े के आधार पर पार्टी से प्रथक हो गया। इसके पश्चात् उसे भ्रम सा हो गया कि पार्टी के प्रादमी उसके पीछे पड़े हैं।आखिर उसी दशा में वह पागल होगया। अभी दो वर्ष पूर्व उसकी एक पागलखाने में मृत्यु होगई। बी० पी० यू० का सर्वाधिकारी सर्मन स्कज कासन सोवियट की भोर से पेरिस और नन्दन में राजदूत बनकर गया था। उसने दोनों स्थानों पर अच्छी ख्याति प्राप्त कर ली थी। वह स्था शिक्षा मंत्री लोना मर्सकज दोनों ही असमय मारे गये। तामीरात मंत्री एवं आर्थिक परिषद् के अध्यक्ष कज जी शेक को विष पिनाया गया। शमट नामक व्यक्ति भी इमारत-मन्त्री था, जिसे अब पुलिस की कड़ी निगरानी में स्वखा जाता है। डाक विभाग के मन्त्री समरनोफ को सन् १९२८ में निर्वासित करके साइ बेरिया भेज दिया गया और अगस्त १९३६ में उसका सिर उड़ा दिया गया। अर्थ तथा कला के भूतपूर्व मंत्री स्कूलकी कोफ को, जो किसी समय लन्दन में रूसी राजदूत था सन् १९३६ में गिरफ्तार किया गया। उसके लिये बनवरी १६३७ में प्राण-दण्ड की
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