सचानवे ] हान जानते थे। उनके लेख माक्से, लैसन, प्रोडन और बैनकी आदि लेखकों के उदाहरणों से पूर्ण होते थे। किन्तु माप को स्टालिन की पुस्तकों और लेखों में कोई ऐसा उद्वरण प्राप्त न होगा। स्टालिन यदि कहीं उद्धरण देवा भी है वो केवल एक लेखक के अर्थात् लेनिन के। ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपने यौवन- कान से अब तक केवल एक ही क्रान्तिकारी लेखक की कृतियां पढ़ी हैं और वह है लेनिन । उसी का वह बार २ हवाला देवा और उसी के वाक्यों को लेकर उनका स्पष्टीकरण करता है। जैसे कि उसके निकट संसार में अन्य कोई लेखक पैदा ही नहीं हुआ। स्टालिन का कथन है कि यदि सभी लेखकों के विचार लेनिन से समानता रखते हैं तो फिर मुझे उनको पढ़ने की आव- श्यकता नहीं। और यदि लेनिन ने उनको उपेक्षणीय समझाई खो मैं उसी का शिष्य उनको क्यों प्रतिछा हूँ। क्रेमलिन-भवन के रहस्यमय स्वामी स्टालिन के विषय में बहुत कुछ लिखा गया है। क्रांतिकारी स्टालिन के विषय में भी प्रणव पुस्तके निकली हैं। किन्तु एक व्यक्ति के नाते किसी ने उसके विषय में कुछ नहीं लिखा। शायद यही कारण है कि संसार के प्रत्येक भाग में उसके रहस्यमय गुण और स्वभाव को धूम है। लोग उसको जीवन- घटनाओं को कथानकों का रूप देने लगे हैं। उसकी प्रथम पत्नी का देहान्त सन् १९१७ में उस समय हुआ था, जबकि वह उत्तरा सागर के तट पर निवासित जोवन व्यतीत कर रहा था। उस समय रूस में क्रांति सफल नहीं हुई थी। उस बेचारी ने स्टालिन से विवाह करके कभी सुख नहीं पाया। जब तक वह जीवित रही, उसका पति बन्दी जावन में रहा अथवा उसे पुलिस से बचने के लिये स्थान २ पर भटकना पड़ा। उसका जीवन-काल एक विचित्र संघर्ष में से गुजर रहा
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