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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१२८

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करना चाहे कि संसार में सर्व्वथा भला मनुष्य होना ही दुर्लभ है—तो उसके उत्तर में ऊपर कहे हुए शब्द अवश्य ही सयुक्तिक होंगे। यदि कोई अनियन्त्रितसत्ता भोगने वाला मनुष्य सुशील और सदय अन्तःकरण वाला हो, तो उसके अधिकार में रहने वाले मनुष्य सुखी होंगे, और उसके प्रति शुद्ध स्वामिभक्ति और स्नेह करेंगे,-इससे इन्कार कौन करता है? इस पर सन्देह ही कौन करता है? पर क़ानून ऐसे अच्छे मनुष्यों को ही उद्देश करके नहीं बनाया जाता। रीति-रिवाज निश्चित करते समय केवल अच्छे आदमियों का ही ख़याल नहीं रक्खा जा सकता। बल्कि उन क़ायदे-क़ानूनों पर यह भली भाँति सोच-विचार लिया जाता है कि यदि एक-एक खोटे मनुष्य के हाथ वह होगा तो उसके द्वारा कैसा उपयोग होना सम्भव है। इस ही प्रकार विवाह-सम्बन्ध थोड़े से भले मनुष्यों को लक्ष्य करके निश्चित करने योग्य चीज़ नहीं है-बल्कि इसका सम्बन्ध संसार के बहुत से मनुष्यों से है। विवाह-विधि से पूर्व्व उनसे कोई इस प्रकार की लिखावट या सनद नहीं माँगी जाती कि जो अधिकार उन्हें प्राप्त होंगे उनका वे दुरुपयोग न करेंगे या अपने अधीनस्थ पर वे अधिकार करने के सर्वथा योग्य हैं। जिनका अन्तःकरण सदय और प्रेम से भरा होता है वे अपनी स्त्री और बच्चों से विशेष प्रेम करते हैं; और दूसरे मनुष्य जो अन्य व्यवहारों में निष्ठुर और शुष्क-हृदय

होते हैं फिर भी वे अपनी स्त्री और बच्चों से सदय व्यवहार

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