पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१५१

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प्रसन्न होते थे। पर इस समय कोई सभ्य या प्रतिष्ठित मनुष्य इस तरह के आक्षेप करने को तैयार ही न होगा। इस समय के सुशिक्षित पुरुषों की यह धारणा रही कि जिन पुरुषों के साथ स्त्रियों का अति निकट सम्बन्ध होता है उनके प्रति ममता और सद्भाव में वे पुरुषों से पीछे रहती हैं। बल्कि आज-कल तो हमारे सुनने में यह आता है कि पुरुषों से स्त्रियाँ अच्छी हैं। पर आश्चर्य की बात है कि जो पुरुष स्त्रियों के अच्छेपन को डौंडी पीटते फिरते हैं, यदि उनसे कहा जाय कि तुम स्त्रियों को पुरुषों से अच्छी बताते हो इसलिए उनके साथ वैसा ही बर्ताव भी करो तो उन्हें यह बात पसन्द ही नहीं आती। ऐसे मनुष्यों के मुँह से निकले हुए शब्दों की क़ीमत केवल दाम्भिक वाद ही हो सकती है, उन मनोहर शब्दों का उद्देश केवल इतना ही होता है कि अपने किये हुए अत्याचार को सुन्दर वेष में खड़ा कर देना। गुलिवर (Gulliver) का वर्णन किया हुआ लिलिपट (Lilliput) देश का राजा अपने अपराधी को कठोर से कठोर दण्ड देने से पहले दया के शब्दों से भरे हुए व्याख्यान की रेल-पेल कर दिया करता था––ऊपर वाला वर्णन भी ऐसा ही है। पुरुषों की अपेक्षा यदि स्त्रियाँ किन्हीं बातों में सब से अधिक अच्छी हैं तो वह गृह-व्यवस्था है। विलक्षण आत्मनिग्रह के साथ वे अपने कुटुम्बियों को प्रत्येक प्रकार से सुखी रखने के साधन जुटाती हैं। पर इस बात को मैं कभी महत्त्व दूँगा ही नहीं,