हटा सकते हैं। इसलिए यह आशा की जाती है कि यही अन्याय सब से पहले दूर होगा। अमेरिका के पुराने और नये राज्यों में जो नियम बनाये गये हैं, उन में सम्पत्ति पर स्त्रियों का अधिकार पुरुषों के समान रक्खा गया है, इस से और कुछ नहीं तो जिन स्त्रियों की थोड़ी बहुत सम्पत्ति होती है उनकी दशा विवाहित स्थिति में भी बहुत कुछ सुधर सकती है, क्योंकि सत्ता के तमाम हथियार खोते-खोते अकेला यही
तो उनके हाथ रहता है। इस नियम का दूसरा शुभ परिणाम यह होता है कि जो नीच पुरुष विवाह का दुरुपयोग करके अनुचित लाभ उठाते थे वह नहीं घटता। ऐसे नीच पुरुष किसी भोली-भाली कुमारी का धन छीनने के लिए उसे प्रेम के जाल में फँसाते, और स्त्री-धन के विषय में किसी प्रकार का नियम निश्चित किये बिना उससे विवाह कर लेते। इस के परिणाम में उस बिचारी की सब सम्पत्ति पति की बन
जाती, और वह धोखेबाज़ यदि उसे छोड़ देता तो वह बिचारी न दीन की रहती और न दुनियाँ की। वर्तमान नियम के अनुसार अमेरिका में यह होना सम्भव नहीं। यदि कुटुम्ब के निर्वाह के लिए पुरखों की सम्पत्ति नहीं होती, अर्थात् अपनी कमाई पर ही जिनका गुज़ारा होता है, उन कुटुम्बों में देखा जाता है कि पुरुष कमाई करके लाता है और स्त्रियाँ घर की देख-रेख करती हैं-और उनके लिए यही व्यवस्था में अच्छी समझता हूँ। स्त्रियों को सब से पहले तो सन्तानोत्पादन का